अजीत डोभाल ने मोदी सरकार के अलावा इंदिरा गांधी के समय भी निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

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जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का फैसला एक ऐतिहासिक कदम है लेकिन यह कदम उठाने से पहले सरकार ने लंबे समय से इसपर योजनाएं बनाने और उसपर काम करने का कार्य किया है जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने को लेकर सरकार के पास कई चुनौतियां थी लेकिन इसमें सबसे अहम चुनौती थी सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखना, क्योंकि जम्मू कश्मीर क्षेत्र आतंकवाद से  प्रभावित है ऐसे में सरकार के द्वारा उठाये गए कदम का क्या हो सकता है इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था इसलिए मोदी सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को दी थी और उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते देखे जा रहे हैं

इसके पहले भी अजीत डोभाल तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में ऑपरेशन ब्लू स्टार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ऑपरेशन ब्लू स्टार 1984 में 3 से 6 जून तक चलाया गया था, जिसमें अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब परिषद पर  खालिस्तान समर्थक जनरल सिंह भिंडरांवाले और उनके समर्थकों ने उस पर कब्जा कर लिया था जिससे मुक्त करवाने के लिए सरकार द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था जिसमें अजीत डोभाल एक पाकिस्तानी गुप्तचर थे जो कि सेना के लिए खुफिया जानकारी जुटे थे जिसके दम पर दो ऑपरेशन ब्लू स्टार सफल हो सका था

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जम्मू कश्मीर के  कूका पारे उर्फ मोहम्मद यूसुफ पारे  जो की एक कश्मीरी उग्रवादी थे और भारत के विरोधी थे उन्हें मुख्यधारा में लाने का  काम अजीत डोभाल ने ही किया था इसके अलावा  1991 में रोमानियाई राजनयिक लीवियु राडू को बचाने का कार्य भी किया था, जिन्हें खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा किडनैप कर लिया गया था अजीत डोभाल ने ब्रिटेन और पाकिस्तान में राजनायिक की जिम्मेदारी भी संभाली थी और एक दशक तक खुफिया ब्यूरो के ऑपरेशन शाखा का नेतृत्व किया था पाक अधिकृत कश्मीर में ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक  करने और आतंकवादियों के टैंकों को नष्ट करने के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

अजीत डोभाल कौन सा ऑपरेशन किस तरीके से  और कब अंजाम देंगे इस सब की जानकारी ऑपरेशन के पूरा हो जाने के बाद ही होती है और ऐसा ही इन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के दौरान भी किया है   अजीत डोभाल 1968 के केरल कैडर के आईपीएस रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद इन्हें 30 मई 2014 को दिया गया और तब से अब तक यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर हैं

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