नरेंद्र मोदी और वीपी सिंह

अब वीपी सिंह की राह पर मोदी, क्या भाजपा का मंडल पार्ट-2 खिलाएगा नया गुल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने भूमंडलीकरण के दौर में पार्टी और सरकार के मंडलीकरण का दांव चला है।

जिसे राजनीतिक विश्लेषक मोदी का मंडल-दो भी कह रहे हैं और उनका दावा है कि जैसे विश्वनाथ प्रताप सिंह के मंडल-एक प्रयोग ने भारतीय राजनीति और सामाजिक व्यवस्था का पूरा चरित्र बदल दिया उसी तरह मोदी का मंडल-दो फिर कोई नया गुल खिला सकता है।

कहा जा सकता है कि वीपी सिंह की ही तरह नरेंद्र मोदी ने भी एक बड़ा सियासी जोखिम लिया है, जो भाजपा और संघ के हिंदुत्व की राजनीति से मेल नहीं खाता है।

फर्क यही है कि विश्वनाथ प्रताप सिंह सवर्ण थे और मंडल के कारण उन्हें सवर्णों का गुस्सा झेलना पड़ा। वहीं पिछड़ों ने उनके मुकाबले मुलायम सिंह यादव और लालू यादव जैसे नेताओं को तरजीह दी।

लेकिन मोदी खुद पिछड़े वर्ग से आते हैं इसलिए विश्वनाथ प्रताप सिंह के मुकाबले वह ज्यादा मजबूत विकेट पर हैं और उनके सामने इस समय सामाजिक न्याय की राजनीति के पुराने योद्धाओं जीवन के सांध्यकाल में हैं और लगभग हो चुके हैं।

वर्तमान में कोई सामाजिक न्याय की धारा का कोई नया तेज तर्रार नेता दूर दूर तक नहीं दिख रहा है। लेकिन उनके इस दांव से संघ और भाजपा के अगड़े जनाधार के नाराज होने के खतरे की भी आशंका है।

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