आइए जानते हैं क्या होता है ग्रीन पटाखा
भारत समेत पूरी दुनिया में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है और लोगो मे जागरूक भी बढ़ रही है । पर्यावरण के अलावा ध्वनि प्रदूषण भी काफी ज्यादा बढ़ गया है । दिवाली एक ऐसा त्योहार है,जिसमें पर पटाखों फोड़ना आम बात होती है ।
लोग जमकर पटाखे जलाते हैं । लेकिन इससे पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचता है । दिवाली को भारत का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार कहा जाता है । लोग हर तरफ रोशनी करते हैं और दिया जलाते हैं । लेकिन दिवाली के मौके पर जो एक काम हर कोई करता है वह है पटाखे छुड़ाना ।
बिना पटाखों की दिवाली एक तरह से अधूरी लगती है । हालांकि बहुत सारे लोग के पक्ष में नहीं है । लेकिन दीवाली के त्यौहार पर पटाखों का फोड़ना एक परंपरा सी बन गई है ।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2018 में पटाखों पर दिशानिर्देश लागू कर दिए और कई सारे प्रतिबंध भी लगा दिए हैं । सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के बाद पटाखे का व्यवसाय करने वाले लोग इसको लेकर थोड़ा चिंतित हैं । लेकिन बिकल्प के तौर पर एक नई तकनीक विकसित हो रही है ।
लोगों ने ग्रीन क्रैकर्स की खोज कर ली है जिससे पटाखों का व्यवसाय बचा रहेगा ।सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन पटाखे छुड़ाने की अनुमति मिल गई है ।
ग्रीन पटाखों को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% कम प्रदूषण कारकों को उत्सर्जित करते हैं । ग्रीन पटाखे प्रदूषण को कम करते हैं और देश भर में स्वास्थ्य खतरों को कम करने के लिए ही विकसित किए गए हैं ।
बेरियम नाइट्रेट एक ऐसा महत्वपूर्ण तत्व है जो हानिकारक रसायनों के उत्सर्जन में सहायक होता है । इसलिए वैज्ञानिक ऐसे तत्व की खोज कर रहे थे ।
ग्रीन पटाखों में रासायनिक फार्मूले की जो कि पानी में मॉलिक्यूल का उत्पादन करता है और उत्सर्जन के स्तर को कम करता है और धूल को सोख लेता है ।
नए विकसित किए गए ग्रीन पटाखे में बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल बहुत थोड़ी सी मात्रा में किया जाता है । क्योंकि बेरियम नाइट्रेट के बिना पटाखे बनाना संभव नहीं है । ग्रीन पटाखे यानी कि हरे पटाखे विकसित करने के लिए कई सारे परीक्षण किए गए ।
लेकिन इस समय फार्मूला उपयोग में लाया जा रहा है इसमें तीन प्रकार के पटाखे हैं – स्पार्कल चक्र और फ्लावर पॉट के लिए ही एझ फार्मूले का इस्तेमाल किया जा रहा है ।
अब ग्रीन पटाखों को बनाने के लिए उन फार्मूले का इस्तेमाल किया जा रहा है जो पर्यावरण प्रदूषण कम करने में सहायक है ।
सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखे चलाने के लिए समय निर्धारित कर दिया है दिवाली के मौके पर रात आठ से दस के बीच ही पटाखे चलाने की अनुमति है । लेकिन ग्रीन पटाखे थोड़ा महंगे हैं । लेकिन पर्यावरण को इनसे कम नुकसान होता है ।