आइये जानते हैं क्या होता है एमएसपी(MSP) जिसको लेकर हो रहा है हंगामा
इन दिनों पंजाब से आए किसान आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन नए कृषि कानून को लेकर हो रहा है। वहीं एक तरफ नए कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार आत्मविश्वास से भरी हुई है, तो दूसरी तरफ देश के अन्नदाता इस कानून का विरोध कर रहे हैं। विरोध की सबसे बड़ी वजह एमएसपी(MSP) को लेकर है। एमएसपी का फुल फॉर्म होता है -Minimum Support Price – न्यूनतम समर्थन मूल्य।
न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर ही किसान संगठनों में सरकार के खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है। आइए जानते हैं क्या होती है एमएसपी इससे किसानों को कैसे फायदा पहुंचता है और कैसे एमएसपी निकाली जाती है आदि
क्या है एमएसपी :-
एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) अर्थात न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज/फसल की पूरी मात्रा को सरकार खरीदने के लिए तैयार रहती है।
जब बाजार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिरता है तब सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कृषि उत्पाद की खरीद करके किसानों के हितों की रक्षा करती है। सरकार द्वारा एमएसपी की घोषणा फसल की बुवाई के समय ही कर दी जाती है।
कैसे तय करते हैं एमएसपी की दर :-
केंद्र सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संचालन करने का एक कार्यालय है।
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यह कार्यालय पहली बार 1965 में अस्तित्व में आया था। इस आयोग के गठन का प्रमुख मकसद कृषि उत्पादों के संतुलित करना और एकीकृत मूल संरचना तैयार करना था।

इस आयोग की सिफारिश के आधार पर ही केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी का निर्धारण किया जाता है। वर्तमान में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा देश कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य हर साल जारी किए जाते हैं, जिसमें सात अनाज, पांच दलहन, सात तिलहन और चार नगदी की फसलें शामिल की जाती हैं। हालांकि भारत की संसद द्वारा इस आयोग को मान्यता नही दी जाती है।
एमएसपी को तय करने वाले कारक :-
एमएसपी को तय करने में विभिन्न कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- मांग एवं आपूर्ति
- उत्पाद की लागत
- घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों की प्रवृत्ति
- अंतर फसल मूल्य समता
- कृषि और गैर कृषि व्यापार की शर्तें
- विशेष उत्पाद के उपभोक्ताओं पर एमएसपी का प्रभाव
एमएसपी को निकालने का फार्मूला :-
एमएसपी को निकालने के लिए कीमत A1 कीमत, A2 और कीमत C2 निकाली जाती है।
कीमत A1 में शारीरिक श्रम, पशु श्रम, मशीनरी, लेबर, जमीनी राजस्व और अन्य मुद्दों को शामिल किया जाता है।
वही कीमत A2 में कीमत A1 + जमीन का किराया शामिल किया जाता है।
पारिवारिक श्रम में कृषि परिवार के सदस्यों की मेहनताना को भी जोड़ा जाता है।
कीमत C2 में कीमत और पारिवारिक परिश्रम तथा स्वामित्व वाले जमीन का किराया और स्थाई पूंजी पर ब्याज जोड़ा जाता है। इस तरह से एमएसपी को निकाला जाता है
एमएसपी से कैसे किसानों को लाभ मिलता है :-
एमएसपी की का निर्धारण सरकार द्वारा फसल की बुवाई के समय ही कर दिया जाता है। एमएसपी को निर्धारित करने से सबसे ज्यादा लाभ किसानों को उस वक्त होता है जब बाजार में किसानों की फसल की कीमत बाजार में कम हो जाती है, तब किसानों को इस बात की तसल्ली रहती है कि यदि बाजार में कीमत कम हो जाती है तब भी सरकार एमएसपी की कीमत पर उनसे फसल की खरीद कर लेगी।
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इस तरह से एमएसपी का निर्धारण करने से और सरकार द्वारा किसानों की फसल को एमएसपी मूल्य पर खरीदने से किसानों को कम नुकसान उठाना पड़ता है और उन्हें एक निश्चित भाव में अपनी फसल बेचने की सुविधा का विकल्प उपलब्ध रहता है।
एमएसपी के निर्धारण में होने वाली समस्या :-
एमएसपी के निर्धारण में कई तरह की समस्या आती है जिसमें खेती के क्षेत्र में विविधता का पाया जाना, विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु, उनकी भौतिक स्थिति और मिट्टी के प्रकार में अंतर होना, खेतिहर मजदूरी पर स्थिति का साफ न हो पाना और परिवहन लागतो का अलग अलग होना।
इस वजह से एमएसपी के निर्धारण में समस्याएं आती हैं, लेकिन फिर भी केंद्र सरकार द्वारा फसल की बुवाई से पहले फसल का एमएसपी मूल्य जारी कर दिया जाता है।