आने वाला है खतरनाक वायरस जिससे 36 घंटे में हो जाएगी 8 करोड़ लोगों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व अध्यक्ष ने एलर्ट जारी करते हुए कहा है कि जल्द ही खतरनाक वायरस दस्तक देने वाला है जिससे 36 घंटे में ही 8 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी । क्योंकि यह मात्र 36 घंटे में ही पूरी दुनिया में फैल सकता है । यह खतरनाक वायरस पूरी दुनिया के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती के रूप में आएगा क्योंकि यह हवा में तेजी से फ़ैलाने वाला खतरनाक वायरस है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व प्रमुख ने इसे सबसे खतरनाक वायरस बताया है और उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए तैयार रहने को बोला है ।
सूत्रों के मुताबिक यह खतरनाक वायरस उस स्पेनिश फ्लू महामारी से भी ज्यादा खतरनाक है जो लगभग एक सदी पहले 1918 में दुनिया के लगभग एक तिहाई आबादी को प्रभावित किया था और उस फ्लू की वजह से पांच करोड़ लोगों की मौत हो गई थी । विशेषज्ञों की मानें तो इसके खतरनाक होने के पीछे वजह यह है कि एक सदी पहले की तुलना में अब दुनिया भर में लोग काफी ज्यादा और काफी तेजी से एक देश से दूसरे देश की यात्रा करते रहते हैं इसलिए यह वायरस बहुत तेजी से मात्र 36 घंटे के अंदर ही पूरी दुनिया में फैल जाएगी ।
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व अध्यक्ष के नेतृत्व में एक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम “द ग्लोबल प्रिपयर्ड मॉनिटरिंग बोर्ड” ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है और सभी देश के नेताओं से इस वायरस से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है । विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट का नाम ‘ए वर्ल्ड एट रिस्क’ रखा है । इस रिपोर्ट के अनुसार यह वायरस इबोला की तरह ही खतरनाक साबित होगा । कई देशों की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी यह एक बड़ा खतरा हो सकता है । रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था द ग्लोबल प्रिपयर्ड मॉनिटरिंग बोर्ड ने इस खतरनाक वायरस से प्रभावित होने वाले देशों के बारे में एक मैप की माध्यम से जानकारी दी है ।
रिपोर्ट के मुताबिक यह वायरस साँस के जरिये तेजी से हवा में फैलेगी । अभी दुनिया इससे निपटने के लिए तैयार नहीं है । इसलिए इस वायरस की वजह से कई देशों की अर्थव्यवस्था और बहुत से गरीब देश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती है । एक सदी पहले 1918 में स्पेनिश वायरस की वजह से एक महीने के भीतर दुनिया के पांच करोड़ लोगों की मौत हो गई थी । जिसमें सबसे ज्यादा प्रभावित देश जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, स्वीडन और यूनाइटेड स्टेट्स था ।