आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को बनाया जा सकता है IMF का नया प्रमुख
IMF यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना 1944 में हुई थी तथा वर्तमान में इसके सदस्य 186 देश है । भारत 1991 में आईएमएफ का सदस्य बना ।
इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी संयुक्त राज में है यह अपने सदस्य देशों के वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नजर रखता है तथा सदस्य देशों को आर्थिक व तकनीकी सहायता प्रदान करता है ।
इसका प्रमुख कार्य अंतरराष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने व विकास को शुगम बनाने में सहायता प्रदान करना है ।
आईएमएफ के उद्देश्य में आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय व्यापार सुविधाजनक बनाना शामिल है ।
आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) है, एसडीआर में यूरो पाउंड व्हेन डॉलर शामिल है ।
आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड के इस्तीफे के बाद नए प्रमुख की तलाश शुरू हो गई है । क्रिस्टीन लेगार्ड का इस्तीफा 12 सितंबर से प्रभावी हो जाएगा इनको 2011 में आईएमएफ का प्रमुख नियुक्त किया गया था ।
इस समय अमेरिकी अर्थशास्त्री डेविड लिप्टन को आईएमएफ का आंतरिक प्रमुख बनाया गया है । आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम जी राजन को आईएमएफ का प्रमुख बनाए जाने की संभावना है क्योंकि ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने मांग की है कि किसी भारतीय को आईएमएफ का प्रमुख बनाया जाए ।
रघुराम जी राजन ने भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में 2013 से 2016 तक कार्य किया है ।
इसके पहले वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार व शिकागो विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बिजनेस में एरिक०जे० ग्लिचर फाइनेंस के गणराज्य सर्विस प्रोफेसर थे और भारत में वित्तीय सुधार के लिए योजना आयोग द्वारा नियुक्त समिति का नेतृत्व भी किया था ।
रघुराम राजन जी वर्ष 2003 से 2006 तक आईएमएफ के प्रमुख अर्थशास्त्री व अनुसंधान निदेशक के पद पर भी रह चुके हैं ।
रघुराम जी राजन मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अर्थशास्त्र विभाग और स्लोन स्कूल आफ मैनेजमेंट, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलॉग स्कूल आफ मैनेजमेंट और स्टॉकहोम स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अध्यक्ष प्रोफ़ेसर भी रहे हैं ।
इन्होंने भारतीय वित्त मंत्रालय, विश्व बैंक, फेडरल रिजर्व बोर्ड और स्वीडिश संसदीय आयोग के सलाहकार के रूप में भी काम किया है । सन 2001 में वे अमेरिकी फाइनेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष थे तथा वर्तमान समय में अमेरिकन एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य हैं ।
हाल ही में राजन ने बीबीसी से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने इंग्लैंड के केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर पद के लिए आवेदन नहीं किया था, क्योंकि ब्रिटेन की राजनीति की जानकारी नहीं थी और ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक केंद्रीय बैंक( बैंक ऑफ इंग्लैंड) में ब्रिटिश राजनीत का खासा प्रभाव रहता है
रघुराम राजनकी फरवरी 2019 में प्रकाशित द थर्ड पिलर: हॉउ मार्केट्स एंड द स्टेट लीव्स द कम्युनिस्ट बिहाइंड जारी हुई ।
इसके पहले भी इनकी कई किताबे चर्चा में रह चुकी है जिनमे आई डू व्हाट आई डू(2016) , फॉल्ट लाइन: हॉउ हिडेन फैक्टर्स स्टिल थ्रेटन द वर्ल्ड इकोनॉमी(2010) और सेविंग कैपिटलिस्ट फ्रॉम द कैपिटलिस्ट(2003) थी ।