इसरो के अध्यक्ष युवाओं के लिए एक प्रेरणा

हम सभी चंद्रयान 2 की सफलता से वाकिफ  हैं I चंद्रयान-2 की इस सफलता में इसरो के वर्तमान अध्यक्ष के शिवन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है शिवन के बचपन से लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) के अध्यक्ष बनाने तक का सफर आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत हो सकता है शिवन एक बेहद ही साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे इनका बचपन गरीबी में गुजरा था, गरीबी के कारण ही उनके भाई बहन उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाए   इनका जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी के  जिले में सराक्कलविलाई गाँव के एक किसान परिवार में हुआ था

शिवन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से तमिल माध्यम में पाई इन्होंने नागेरकोयल के एससी हिंदू कॉलेज से स्नातक किया है और 1980 में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग,  इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास से किये इसके बाद इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर भी किया आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में शिवन को 2006 में पीएचडी की डिग्री हासिल हुई जब शिवन कॉलेज में थे तो खेतों में अपने पिता की मदद किया करते थे और इसी वजह से उनके पिता ने उनका ऐडमिशन पास के कॉलेज में करवा दिया था शिवन ने बीएससी (गणित) में 100 प्रतिशत अंकों के साथ पास की है इसके बाद इनका मन बदल गया और एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से किये।

शिवन बताते हैं कि वे बचपन मे धोती पहना करते थे  और जब मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिए तब पहली बार पैंट पहने शिवन 1982 से ही इसरो से जुड़े हैं इसरो का अध्यक्ष बनने से पहले वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निर्देशक थे जहां पर राकेट बनता था तथा इन्होंने क्रायोजेनिक इंजन, पीएसएलवी, जीएसएलवी लॉन्च व्हीकल कार्यक्रमों में योगदान दिया है और 15 फरवरी 2017 को भारत द्वारा जब एक साथ 104 उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया था तो इसमें भी शिवन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी यह एक विश्व रिकॉर्ड है शिवन खाली समय मे तमिल गाने सुनना और गार्डनिंग करना पसंद करते हैं

चंद्रयान-2 जब पहले 15 जुलाई को प्रक्षेपित होने वाला था तो उसने कुछ तकनीकी कारणों से उसे रोकना पड़ा था इसके बाद शिवन ने तुरंत  एक उच्चस्तरीय टीम बनाकर जल्द ही तकनीकी कारणों का पता लगाकर 24 घंटे के अंदर ही इसे ठीक कर दिया और बाद में लगभग 7 दिनों बाद चंद्रयान-2 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण हो सका   शिवन को रॉकेट मैन के नाम से भी जाना जाता है

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