इसरो द्वारा चंद्रयान 2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया

भारत अपने पहले चंद्र मिशन की सफलता के 11 साल बाद अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान 2 को आज 22 जुलाई को दोपहर 2:43 मिनट पर सफलतापूर्वक  प्रक्षेपित कर लिया है ।

इसके पहले इसे 16 जुलाई को प्रेषित किया जाना था परंतु कुछ तकनीकी खराबी के चलते इसे टाल दिया गया था । चंद्रयान 2 को स्वदेशी तकनीकी से  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित किया गया ।

चंद्रयान 3 को आंध्र प्रदेश के श्री सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भू- स्थैनिक प्रक्षेपण यान GSLV मार्क 3 द्वारा प्रक्षेपित किया गया ।  चंद्रयान 2, 48 दिन बाद 6 सितंबर को चाँद की सतह पर पहुंचेगा ।

इसरो के इस सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन  माने जाने वाले चंद्रयान 2 के साथ रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद की सतह लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा ।

चंद्रयान 2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा जहाँ आज तक कोई भी देश नही पहुँच पाया है चाँद का यह दक्षिणी ध्रुव हमेशा अंधेरे में ही रहता है यहाँ सूर्य की रोशनी कभी नही पड़ती। यह उत्तरी ध्रुव से काफी बड़ा भी ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है यहां पर अंधेरे क्रेटरों अर्थात गड्ढों में पानी के साक्ष्य मिल सकते हैं ।

चंद्रयान 2 में विक्रम लैडर  तथा प्रज्ञान रोवर हैं  जो चंद्रमा की सतह पर चलेगा और वहां पर विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टानों के नमूनों को एकत्रित करेंगा ।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि चांद की सतह पर हीलियम 3 काफी मात्रा में पाया जाता है जो आने वाले समय में ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हो सकता है, जो भविष्य में ऊर्जा पूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है ।

एक अनुमान के मुताबिक 1 टन हीलियम 3 की कीमत 5 अरब है । चंद्रयान-2 का फुल वजन 3877 किलोग्राम है और इसकी कुल लागत 978 8 करोड़ है ।

चंद्रयान-2 एक महत्वपूर्ण मिशन है यह जलवायु परिवर्तन से भारत में होने वाले मौसम परिवर्तन का भी अध्ययन करेगा। यह दुनिया का पहला ऐसा यान है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जा रहा है । इससे पहले चीन का चन्द्रयान दक्षिणी ध्रुव से कुछ दूरी पर लैंडिंग किया था ।

चंद्रमा के अन्य हिस्सों की तुलना में यहां पर अधिक छाया होने के कारण इस क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना अधिक है ।

यदि चंद्रयान-2 यहां पर यदि बेस की खोज कर लेगा तो भविष्य में यहां मानव के रुकने लायक व्यवस्था करने की संभावना बढ़ जाएगी साथ ही यहां बेस कैंप लगाए जा सकेंगे और अंतरिक्ष की खोज का रास्ता खुलेगा ।

अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस भी चांद की सतह पर कॉलोनी बनाने का सपना देख रहे है । इसरो के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा की उत्पत्ति और क्रमिक विकास को समझने के लिए विस्तृत अध्ययन करना है ।

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