एक अनोखा चाय कैफे। जहाँ कर्मचारी ऐसे हैं जो सुन और बोल नहीं सकते
रायपुर के रहने वाले प्रियंक पटेल ‘नुक्कड़ द टीफे’ नाम से एक टी-कैफे (tea cafe) चलाते हैं। यहाँ वो सकूनकी चाय के साथ मूक बाधिरों को रोजगार भी दे रहे है ।यह कैफे कई माइनो में अनोखा है ।
१. यहाँ सिर्फ ट्रांसजेंडर और दिव्यांग ही काम करते है।
२. मोबाइल जमा करने पर मिलता है 10 प्रतिशत का छूट मिलता है।
३. यहाँ २० से अधिक तरह की चाय या काफी मिलती है ।
४. यहाँ एक छोटी से लाइब्रेरी भी है ।
५. यहाँ की टीम बिभिन्न विषयों पर वाद विवाद का कार्यक्रम करवाती रहती है।
६. यहाँ आ कर आप अपनी किताब जमा कर सकतें हैं और बदले में यहाँ की कोई किताब तीन दिनों के लिए अपने साथ ले जा सकते हैं ।
७. प्रियंक पटेल का ‘नुक्कड़ द टीफे’ अपनी वर्षगाँठ ‘बिल-मुक्त दिवस’ के रूप में मनाता है। आप को बिल की जगह एक खाली लिफाफा पकड़ा दिया जाता है, जिसमे आप अपनी ख़ुशी से पैसे डाल सकते हैं।
८. आप अपनी माँ को साथ लेकर आइये यह कैफ़े उनकी पसंद की कोई भी एक डिश बिलकुल मुफ्त देगा ।
प्रियंक पटेल का ‘नुक्कड़ द टीफे’ की सुरुवात २०१३ में हुई थी । कैफे की सुरुवात करने से पहले प्रियंक पटेल ने साइन लैंग्वेज सीखा ताकि वो ऐसे लोगों के साथ काम कर सकें जो सुन बोल नहीं सकते। मूक बाधिरों को रोजगार ज्यादा से ज्यादा सरकारी बिभागों में ही मिलता है । प्राइवेट सेक्टर में मूक बाधिरों के लिए रोजगार के मौके बहोत कम उपलभ्ध है । जब प्रियंक पटेल ने ‘नुक्कड़ द टीफे’ की सुरुवात की तो उनको बहोत दिक्कतों का सामना करना पड़ा । रायपुर के लिए ये बिलकुल नई बात थी ।शुरुवाती दिनों में ग्राहको से खाने पिने का आर्डर लेने में वेटर को बहोत परेशानी होती थी ।
जिसके बाद प्रियंक पटेल ने वेटरों को पेन पेपर से आर्डर लेने के लिए कहा। प्रियंक ने अपने मैन्यू को साइन लैंग्वेज में तैयार किया ताकि ग्राहक ये जान सकें कि उनको अपना ऑर्डर किस तरह देना है। जो लोग यहां पर काम करते हैं प्रियंक की इस कोशिश के कारण उनके परिवार वाले भी अब बहुत खुश हैं। जो परिवार इन बच्चों को अब तक बोझ समझ रहे थे वो बच्चों के आत्मनिर्भर होने पैर बहोत खुश है । प्रियंक पटेल का ‘नुक्कड़ द टीफे’ आज रायपुर में २ ब्रांचों का सञ्चालन कर रहा है । पटेल के कर्मचारियों की उम्र २२ से २८ साल के बिच की है ।
ये मूक बधीर हर काम बखूबीकर लेते है चाहे वो वेटर का काम हो या किचन का का काम हो या बिलिंग का काम हो । यहाँ तक की मार्केट से सामान लेन तक का सारा काम इन्ही के जिम्मे है ।इन लोग को हर काम करने की खुली आजादी प्रियंक पटेल ने दी हुई है। इसके पीछे उनका मकसद इन लोगों में भरोसा पैदा करना है , और अपने आप को समझ सके कि वो किसी से कम नहीं हैं।