क्यों अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े द्वीप को खरीदना चाहता हैं
अभी हाल में खबर थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनलैंड द्वीप को खरीदने चाहते हैं जिसको लेकर लोगों द्वारा उनका मज़ाक बनाया गया था । दरअसल ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड को खरीदने के पीछे चीन को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है । क्योंकि चीन लगातार ग्रीनलैंड से सटे क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा है और यदि अमेरिका ग्रीनलैंड को खरीद लेता तो उसके लिए चीन पर नजर रखना आसान हो जाता । इसके अलावा ग्रीनलैंड प्राकृतिक संसाधन जैसे कोयला, तांबा, जस्ता और लौह अयस्क से समृद्ध क्षेत्र है ।
लेकिन डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने ग्रीनलैंड को बेचने से इंकार कर दिया है । अब इस वजह से सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेनमार्क जाने का अपना दौरा रद्द कर दिया है । वहीं डेनमार्क के प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है और ग्रीनलैंड, ग्रीनलैंड से संबंधित लोगों का है । ग्रीनलैंड भौतिक संसाधनों से भले ही समृद्धि हो लेकिन अपने आर्थिक ज़रूरतों के लिए वह डेनमार्क पर निर्भर है । ग्रीनलैंड का अपना स्वायत्त शासन है लेकिन उस पर ऊपरी तौर से डेनमार्क का ही नियंत्रण है । हाल के कुछ समय से ग्रीनलैंड में आत्महत्या, शराबखोरी की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है और वहाँ बेरोज़गारी भी बहुत अधिक हैं ।
वैसे तो क्षेत्र फल की दृष्टि से ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा देश है और ब्रिटेन से 10 गुना ज्यादा बड़ा है । ग्रीनलैंड के ज्यादातर क्षेत्र में सिर्फ चट्टान और बर्फ है । ग्रीनलैंड उत्तरी अमेरिका में होने के बावजूद इसे यूरोप का हिस्सा माना जाता है और यह उत्तरी अटलांटिक और ऑर्गेनिक महासागर के बीच में स्थित है । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले 1946 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने भी ग्रीनलैंड को खरीदने की इच्छा जाहिर की थी और इसके लिए उन्होंने 100 मिलियन डॉलर की पेशकश भी डेनमार्क को की थी । ग्रीनलैंड एक खूबसूरत जगह है ।इसका 65% हिस्सा बर्फ से ढाक है और यहां पर बाँस नहीं आती ।
अगस्त के महीने में यह काफी सुनहरे नजर आता है । ग्रीनलैंड में कोई भी रेलवे सिस्टम नहीं है और लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए हेलीकॉप्टर, नाव या फिर परतों का सहारा लेते हैं । यह क्षेत्र फल की दृष्टि से भले ही बड़ा है लेकिन यहां की आबादी मात्र 56,664 है । यह कनाडा द्वीपसमूह के पूर्व में स्थित है । 1979 में डेनमार्क ने ग्रीनलैंड को सुशासन प्रदान किया था । डेनमार्क सरकार केवल विदेशी मामलों, सुरक्षा और आर्थिक नीति तक ही ग्रीनलैंड में सीमित है । ग्रीनलैंड के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि ग्रीनलैंड व्यापार के लिए स्वतंत्र है लेकिन यह बिकाऊ नहीं है ।