जैसा हम सोचते है वैसे ही हमको लिखना चाहिए – डॉ. मिश्र

प्रेस विज्ञप्ति

इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, पाठक मंच, मीनाल रेसीडेंसी, भोपाल एवं म.प्र. साहित्य अकादमी संस्कृति परिषद् के सहयोगात्मक रूप से समीक्षा का आयोजन मानव संग्रहालय के शैलकला सभागार में किया गया।

इसमे ‘कुछ नीति, कुछ राजनीति’ (लेखक भवानी प्रसाद मिश्र) समीक्षा -डॉ. नीलिमा रंजन, ‘जलता हुआ पुल’ (लेखक अग्निशेखर ) समीक्षा – नीतू मुकुल एवं ‘तत्वमसि’ (लेखक ध्रुव भट्ट ) समीक्षा – साधना शुक्ला द्वारा किया गया इस अवसर पर सभी कृतियों पर की गई समीक्षाओ पर विस्तार से चर्चा की गई।

पाठक मंच की संयोजिका श्रीमती अनिता सक्सेना जी ने सबका स्वागत करते हुए साहित्य अकादमी द्वारा संचालित पाठक मंच की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘साहित्य अकादमी के सहयोग से सभी को श्रेष्ठ पुस्तकें पढ़ने को मिल रही हैं। भवानी जी की पंक्तियों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह कहते थे …
‘कुछ लिखकर सो, कुछ पढ़कर सो
तू जिस जगह जागा सबेरे उस जगह से बढ़कर सो।’

ये हर एक को जीवन में उतार लेना चाहिए। पुस्तकें पाठकों के साथ उनके परिवारजन भी पढ़ रहे हैं साहित्य आज सबको जोड़ने का कार्य कर रहा है।’

इस अवसर पर निदेशक डॉ. पी. के. मिश्र ने उपस्थित लेखिकाओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य एक गहन विषय है उन्होंने भवानी प्रसाद मिश्र के साथ हुए विमर्श का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसा बोलते हो वैसा ही लिखना चाहिए तभी हिन्दी समृद्ध होगी एवं लिखना सिख जाऐगें अभी जनमानस मे लिखने को लेकर एक समस्या है कि वे किस भाषा या बोली मे लिखे।

तो मेरा मानना है जैसा हम सोचते है वैसे ही हमको लिखना चाहिए तथा भाषा की शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने दम्पत्ति शब्द का उदाहरण देकर विस्तार से बताया।पुरातात्विक संपदा संरक्षण चाहती है साहित्य उसे दिशा देता है …आपने सभी से आग्रह किया कि इन बोद्धिक संपदाओं के बारे में भी लिखें।

मुख्य अतिथि डॉ. वंदना मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पाठक मंच बहुत सार्थक हैं, हम लोग एकसाथ बैठकर चर्चा भी करते हैं, लिखते भीं और सुनते भी हैं। सभी लोग लाभान्वित हो रहे हैं साथ ही उन्होंने हिंदी लिखने में वर्तनी की गलतियाँ न हों इस बात पर विशेष जोर दिया।

मानव संग्रहालय के राजभाषा अधिकारी सुधीर श्रीवास्तव ने संग्रहालय के पुस्तकालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कृति विमर्श में निम्नलिखित लेखिकाएं उपस्थित रहीं डॉ. कुमकुम गुप्ता, मधुलिका श्रीवास्तव, कमल चंद्रा, विजया रैकवार, डॉ. प्रभा मिश्रा, नीतू मुकुल, शेफालिका श्रीवास्तव संध्या शर्मा, चित्रा चतुर्वेदी, डॉ. साधना गंगराडे, डॉ. नीलिमा रंजन, उषा चतुर्वेदी, खंजन सिन्हा, सुमन ओबेरॉय मृदुल त्यागी, सुनीता केसवानी, साधना शुक्ला आशा श्रीवास्तव। अंत में धन्यवाद ज्ञापन मधुलिका सक्सेना, मधुआलोक, द्वारा किया गया।

भवदीय …अनीता सक्सेना

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गीता स्वाध्याय

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