देश की बसावट के संतुलन के लिए ग्रामीण इलाकों का विकास करना जरूरी
लोगों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों में काफी तेजी से पलायन बढ़ रहा है और यह हमारे भारत में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में गाँवों से शहरों की तरफ पलायन काफी तेजी से बढ़ रहा है । लेकिन किसी भी शहर में एक निश्चित जनसंख्या को ही जीवन की हर सुविधाएँ मुहैया कराने की क्षमता होती है और कोई भी शहर अपनी क्षमता से अधिक आबादी को प्राकृतिक संसाधन सही तरीके से मुहैया नहीं करवा पाता है ना ही भौतिक संसाधन ही बेहतर ढंग से दे पाता है । लेकिन लोग एक तरीके से एक भ्रम में रहते हैं और बेहतर जीवन जीने के लिए गांव से शहरों की तरफ लोगों का पलायन तेजी से बढ़ रहा ।
हालात यह है कि गांव के गांव पूरे पूरे खाली होते जा रहे हैं । लेकिन यदि देश में बसावट में संतुलन लाना है तो इसके लिए ग्रामीण इलाकों का विकास करना बेहद जरूरी है । भारत की जनगणना रिपोर्ट की मानें तो भारत में आज के समय में करीब 39 % लोग शहरों में रह रहे हैं और आने वाले समय में यह संख्या बढ़ने की संभावना है । गांव में एक वर्ग किलोमीटर में औसत 125 से 400 लोगों की जनसंख्या रहती है लेकिन शहरों में एक वर्ग किलोमीटर में 900 से लेकर 25000 तक की जनसंख्या रहती है । खास करके मुंबई, दिल्ली शहरों में प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व काफी अधिक है ।
गांव से शहरों की तरफ पलायन का प्रमुख कारण जीवन के बेहतर तौर तरीके यातायात की सुविधाएँ हैं,जिसकी वजह से गांव के युवा विशेष तौर पर शहरों की ओर आकर्षित होते है और इसका एक कारण रोजगार भी है । गांव की अपेक्षा शहरों में रोजगार के अवसर अधिक होते हैं । लेकिन एक सीमा से अधिक किसी भी शहर की जनसंख्या हो जाने पर वहां की सभ्यता व्याधियों में अनियमितताओं और अपराध की घटनाएँ भी बढ़ जाती है ।
रहने लायक शहरों की सूची को तैयार करने का प्रमुख आधार प्रदूषण और पर्यावरण मानक के तौर पर शामिल किया जाता है । दिल्ली के हालात ऐसे हैं कि पर्यावरण की दृष्टि से एक यह बेहतर स्थान नहीं है क्योंकि यहां पर वायु प्रदूषण या फिर ठंडी में शीत लहर और गर्मियों में लू चलने जैसी घटनाएँ साल भर लगी रहती है और इस तरह की समस्या बरकरार रहती है । बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पानी और प्राणवायु भी दुर्लभ होने लगते हैं और प्राकृतिक का सिद्धांत है कि ज्यादा जनसंख्या पीने के पानी और प्राणवायु में असंतुलन ला देती है ।
भारत ने पिछले सात दशकों के दौरान विभिन्न भौतिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं लेकिन प्राकृतिक संसाधनों की अनदेखी भी बहुत बढ़ गई है । किसी भी क्षेत्र में बेहतर जीवन के लिए हवा पानी का एक संतुलित अवस्था में होना बेहद जरूरी होता है । इसलिए जरूरी है कि गांव से शहरों की तरफ होने वाला पलायन को रोका जाए और गांव में सारी सुविधाएँ और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं । यह समय की मांग है कि इस पर ध्यान दिया जाए और आवश्यक कदम उठाए जाये ।