नकारात्मक विचारों को दूर कर उठाएं जिंदगी का मजा

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हर इंसान की अपनी सोच और अपना नजरिया होता है । सबकी जिंदगी से कुछ महत्वाकांक्षा होती है। इंसान पूरी कोशिश करता है अपने सीमित संसाधनों से अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की ।

लेकिन जब किसी वजह से उसकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हो पाती है तो उसमें नकारात्मक विचार आने लगते हैं और उस इंसान को अपने चारों तरफ सब कुछ नकारात्मक ही नजर आने लगता है और धीरे-धीरे स्थितियां ऐसी बन जाती है कि उस इंसान को कोई भी अच्छी बात नजर ही नहीं आती और उसे हर जगह सब कुछ निगेटिव ही नजर आता है और धीरे-धीरे वह इंसान एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है जहां से वह अवसाद की अवस्था में चला जाता है ।

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उस इंसान पर नकारात्मकता इतनी ज्यादा हावी हो जाती है कि उसका अपना आत्मविश्वास डगमगा जाता है । ऐसे में नकारात्मक विचारों से बाहर निकलकर जिंदगी को एक सकारात्मक नजरिया देना बेहद जरूरी होता है ।

लेकिन अवसाद की अवस्था में नकारात्मक विचार से बाहर निकलना बहुत ही मुश्किल होता है । डॉ नेहा आनंद जो कि एक मनोचिकित्सक है उन्होंने बातचीत में बताया कि मन में उपजे नकारात्मक विचारों से कैसे दूर रहा जा सकता है ?

नकारात्मक विचारों से दूर रहने के लिए सबसे जरूरी है कि अपनी तुलना दूसरों से करना ना की जाए, कोशिश की जाए कि जैसे हैं वैसे ही रहें ।

इसके अलावा दूसरों में कमियां निकालने की आदत से भी बचना होगा क्योंकि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता है, हर किसी में कुछ न कुछ अच्छाइयां होते हैं और कुछ ना कुछ कमियां भी होती हैं और यदि जिंदगी में यह नजरिया अपना लिया जाए तो हम खुद को किसी से कम नही आंकेगे और ना ही हमारा नजरिया दूसरों के प्रति आलोचनात्मक होगा ।

आप जब महसूस करे कि लोग आपको नजरअंदाज कर रहे, ऐसी स्थिति में कुछ देर के लिए अपनी आंखें बंद करके बैठना चाहिए और उन विचारों को अपनी सोच से दूर करने की कोशिश करनी चाहिए ।

हमेशा याद रखना चाहिए कि हर व्यक्ति का अपना महत्व होता है छोटी-छोटी बातों से बहुत ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए नहीं किसी बात से बहुत ज्यादा खुश होना चाहिए, बस जिंदगी के हर पल का आनंद लेना चाहिए और कोई भी काम शुरू करने से पहले उसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं की जांच कर लेनी चाहिए ।

रिसर्च से साबित हो चुका है कि मुस्कुराना और हंसना सेहत के लिए अच्छा है, यह एक थेरेपी की तरह भी काम करता है । इसलिए रोजाना 5 से 10 मिनट हंसना चाहिए, इससे आसपास का माहौल खुशनुमा बन जाता है ।

बिना मौके के यूं ही भी हंसना चाहिए और बच्चों के बीच रहने की कोशिश करनी चाहिए । तनाव की स्थिति में यदि घर में बच्चे ना हो तो आसपास के बच्चों के साथ बात करके मन को हल्का करना चाहिए और सबसे ज्यादा जरूरी खुद के अंदर एक बच्चे जैसे विचार को जिंदा रखना चाहिए ।

हर दिन की शुरुआत खुश मन से करना चाहिए । सुबह जल्दी उठकर थोड़ा टहले या फिर व्यायाम या योगा को अपनी दिनचर्या में शामिल करें  और कोशिश करें कि कम से कम 5 मिनट ही सही आंख बंद करके ईश्वर को याद करें और अपने आसपास में अच्छाइयाँ ढूंढने की कोशिश करें । इससे दिमाग तनाव मुक्त रहेगा और नकारात्मक विचार दूर रहेंगे ।

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