पर्यावरण संरक्षण के लिए विदेश की नौकरी छोड़ जैविक खेती करने लगे गुजराती दम्पत्ति
जहाँ आज की युवा पीढ़ी खेती से दूर होती जा रही है वहीं गुजराती मूल के अमेरिकी दम्पत्ति इन दिनों खेती में अपना कैरियर बनाया है ।
अपना सपना पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के लिए गुजरात का यह दंपत्ति सिलिकॉन वैली में अपनी जॉब छोड़ने के बाद अमेरिका से गुजरात ( स्वदेश )लौटकर जैविक खेती कर रहे हैं ।
जैविक खेती कृषि कि वह तकनीक है जो संश्लेषित उर्वरकों और संश्लेषित कीटनाशकों के कम से कम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग करती है ।
वर्तमान समय में पूरे विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफी तेजी से बढ़ रहा है । जैविक खेती से उत्पादित फसलें स्वास्थ्य के अनुकूल होती हैं तथा यहाँ पर प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती है ।
गुजरात के नाडियाड के नेशनल हाईवे के पास 10 एकड़ में फैले फर्म में जैविक खेती कर रहे हैं विवेक शाह ने बताया कि यहां पर जैविक तरीके से गेँहू, केला, आलू और जामुन का उत्पादन किया जा रहा है ।
जैविक सब्जियों और फलों के साथ साथ दोनों पति–पत्नी जैविक तरीके से केले के चिप्स का भी उत्पादन करते हैं जिसके लिए वह जैविक तेलों का ही प्रयोग करते हैं ।
विवेक शाह बताते हैं कि अपने खेतों में वे बाजरा,गेहूं, आलू, केला, पपीता, जामुन, धनिया और बैगन जैसी फसलें उगाते हैं । उन्होंने यह भी बताया कि व अपने खेतों में तालाब भी बनाए हैं जिन्हें साफ करने के लिए विशेष पौधे उगाते हैं जिससे फसलों की सिंचाई साफ पानी से हो सके ।
उन्होंने बताया कि उनके खेत में 20000 लीटर से अधिक क्षमता वाला रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगा है जो एक बार पूरी तरीके से भर जाता है तो इससे 3 साल तक उनके खेतों की सिंचाई की जरूरत वे पूरी कर सकते हैं ।
उनकी पत्नी वृंदा साहनी ने बताया कि जैविक खेती में सबसे बड़ी चुनौती कीटों का हमला है इससे निपटने के लिए वे इंटरक्रॉपिंग और मल्टी क्रॉपिंग तकनीक का सहारा लेते हैं ।
इसके अलावा तुलसी और लेमनग्रास को भी उगाते हैं। वे खेतों से निकलने वाले कचरे का उपयोग जैविक खाद बनाने में करते हैं और इस खाद का प्रयोग फसलों के उत्पादन में करते हैं । जैविक खेती प्रारंभ करने के लिए उन्होंने फार्मकल्चर में डेढ़ महीने का कोर्स भी किया है ।