प्रधानमंत्री मोदी ने प्लास्टिक कचरे से बचने को रिसाइक्लिंग को समाधान बताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को संबोधन में प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के प्रति सचेत किया और एक बार प्रयोग होने वाले प्लास्टिक के उपयोग को कम से कम करने और फिर से प्रयोग हो सकने वाले प्लास्टिक का उपयोग बढाने के लिए कहा । लोगो में यह जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है कि प्लास्टिक से जिंदगी किस तरीके से प्रभावित होती है और इससे कैसे छुटकारा पाया जाए ।
बता दे कि भारत प्लास्टिक कचरे के ई कचरे का आयात भी करता है,क्योंकि ई कचरे का शोधन भारत में हजारों करोड़ों रुपए का एक व्यवसाय बन चुका है और पिछले 3-4 वर्षों से ई कचरे और प्लास्टिक के शोधन के क्षेत्र में दस लाख से भी अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है । इस तरीके से ई कचरा कई लोगों के रोजी–रोटी का जरिया है । ई कचरे में कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल को बनाने में प्रयोग होने वाले सोने और चांदी को निकालने के लिए इनका शोधन किया जाता है । एक रिपोर्ट के अनुसार चीन,अमेरिका, जापान के बाद भारत ई कचरे के उत्पादन में चौथे स्थान पर है । भारत प्रत्येक वर्ष 19 लाख टन कचरा पैदा करता है,जिसमें करीब 13 लाख टन प्लास्टिक भारत में इस्तेमाल होता है , जिससे 15 हजार प्लास्टिक कचरा हर रोज पैदा होता है और उसमें से केवल 9 हजार टन कचरा ही रिसाइकिल हो पाता है जो कि एक बहुत ही छोटी मात्रा है ।
भारत में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक में से 60% हिस्सा रिसाइकिल हो जाता है लेकिन 40% प्लास्टिक खेतों में और समुद्र जैसे जल स्त्रोत या फिर वनों, सड़कों या अन्य जगहों पर जमीन में पड़ा रह जाता है । यह प्लास्टिक कचरा खेती के लिए सही नही है यह खेतों की उत्पादकता को प्रभावित करता है और जलीय स्त्रोतों में पहुच कर जलीय जंतु भी प्लास्टिक कचरे से प्रभावित होते है ।
रिपोर्ट के अनुसार प्लास्टिक कचरे के रिसाइक्लिंग को बढ़ावा दिया जाने से कुछ वर्षों में ही इस क्षेत्र में 11 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा क्षमता के व्यापार होने की संभावना है , जिसमें हजारों लोगों को रोजगार भी मिल सकता है । अच्छी क्वालिटी के प्लास्टिक के इस्तेमाल से प्लास्टिक कचरे का समाधान नहीं हो सकता । अच्छी क्वालिटी के प्लास्टिक को एकत्र करना और साइकिल करना तो आसान है । लेकिन प्लास्टिक का जो सबसे महीन रूप प्लास्टिक पॉलिथीन है, जिसका काफी ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है,इसको नष्ट होने में काफी ज्यादा समय लग जाता है । प्लास्टिक पॉलिथीन को नष्ट होने में करीब 20 साल से ज्यादा का समय लगता है और इनको इकट्ठा करना भी एक कॉफी मुश्किल काम है । प्लास्टिक की पानी की बोतलों को नष्ट होने में साढ़े चार साल लगते हैं और प्लास्टिक के कप तक को नष्ट होने में 50 साल लगता है । तो कोशिश करनी चाहिए कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम किया जाए और इनके स्थान पर जूट से बनाए गए बैगों का इस्तेमाल किया जाए जो कि पर्यावरण के अनुकूल होते हैं ।