प्लास्टिक के बैग की तरह ही कागज के बैग भी होते हैं नुकसानदायक

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प्लास्टिक बैग्स पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होते हैं । हमें लोग अभी तक यह समझते थे कि प्लास्टिक के बजाय कागज और  जूट के बने बैग पर्यावरण के लिए  अनुकूल है । लेकिन जितना यह समझा जाता है यह पर्यावरण के उतना अनुकूल नहीं है ।

प्लास्टिक बैग की तरह ही कागज या फिर जूट के बैग भी पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होते है ।विशेषज्ञों की मानें तो सभी प्रकार के बैग पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हैं । चाहे वह प्लास्टिक के बैग हो या फिर का कागज या जूट के बने हुए बैग हो ।

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इसलिए हमेशा नए बैग खरीदने से बचना चाहिए । क्योकि जुट या कागज के बने बैग प्लास्टिक के बैग से भी ज्यादा पर्यावरण के लिये हानिकारक होते है । जहां प्लास्टिक के बैग को रिसाइकल किया जा0 सकता है तो वही जूट या  कागज के बने बैग का रिसाइकल नहीं किया जा सकता है ।

अब समस्या यह भी है कि पर्यावरण के अनुकूल कौन सा बैग है । हम यह कभी नही सोचते हैं कि इन बैग की जरूरत पूरी होने के बाद इसका क्या करेंगे और इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि एक बैग बनाने के लिए वास्तव में कितनी कीमत लगी होती है ।

अगर हम पर्यावरण के लिहाज से कागज के, जूट के या फिर प्लास्टिक के बैग की कीमत का आंकलन करे तो हमे कई फैक्टर को ध्यान में रखकर इसका आकलन करना चाहिए । मालूम हो कि कागज या फिर  जूट का थैला बनाने में भी पर्यावरण को नुकसान होता है ।

उत्तरी आयरलैंड असेंबली द्वारा सन 2011 में एक शोध पत्र प्रस्तुत किया गया था जिसमें कहा गया कि प्लास्टिक बैग की तुलना में कागज और जूट के बैग को बनाने के लिए प्लास्टिक से 4 गुना ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।

कागज को पेड़ों को काट के ही बनाया जाता है और इससे जंगलों पर बुरा असर पड़ता है । शोध में कहा गया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बनाने की तुलना में कागज के बैग बनाने में बहुत अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है और इनको बनाने में बहुत अधिक जहरीला केमिकल भी बाहर निकलता है ।

नार्थम्पटन यूनिवर्सिटी मे टिकाऊ कचरा प्रबंधन के प्रोफेसर मार्गरेट बैट्स का कहना है कि कागज के कचरा बहुत भारी होता है । इसके अलावा उनके बनाने के बाद उन्हें दुकानों तक पहुंचाने में परिवहन के इस्तेमाल की वजह से भी पर्यावरण को अतिरिक्त नुकसान झेलना पड़ता है ।

हालांकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई ने जंगल को लगाकर पूरा किया जा सकता है । इससे जलवायु परिवर्तन के असर को भी कम किया जा सकता है ।

क्योंकि पेड़ वायुमंडल में मौजूद कार्बन को सोख लेते हैं । मालूम हो कि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं । सूती या जुट के बैग प्लास्टिक और कागज से भी ज्यादा पर्यावरण के लिए नुकसानदेह होते है ।

क्योंकि इनको बनाने में और भी ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है । सूती एक काफी खर्चीली फसल मानी जाती है ।

साल 2006 में ब्रिटेन की पर्यावरण की एजेंसी ने अलग अलग चीजो से बने थैले की जानकारी इकट्ठा की और यह पता लगाने की कोशिस की कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक के बैग को कम से कम कितनी बार इस्तेमाल करना चाहिये जिससे पर्यावरण को कम नुकसान हो ।

इस सर्वे में कागज के द्वारा बनाए गए बैग को कम से कम तीन बार इस्तेमाल करने की जरूरत है । वहीं प्लास्टिक के बैग को चार बार इस्तेमाल किया जाना चाहिए । दूसरी तरफ सूती बैग को कम से कम दस बार इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इन्हें बनाने में बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है ।

कागज के बैग कम टिकाऊ होते हैं और इनके फटने का खतरा ज्यादा होता है । इसलिए इनके कम टिकाऊ होने की वजह से कम से कम दो बार तो जरूर ही इस्तेमाल करना चाहिए । कागज हो जल्दी नष्ट हो जाता है लेकिन कागज को बनाने के लिए पेडों को काटना पड़ता है ।

प्लास्टिक को नष्ट होने में 100 साल से भी अधिक का समय लगने के करण प्लास्टिक को पर्यावरण की समस्या के लिये यह प्रतीक बन गया । ढोने वाले बैग चाहे जिस चीज के बने को उनसे पर्यावरण को कम नुकसान हो इसके लिए इन बैग्स को एक से अधिक बार प्रयोग में लाना चाहिए ।

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