मछली पालन

मछली पालन: मछली पालन की इस तकनीक से आप लागत से तीन गुना तक का लाभ कमा सकते हैं।

भारत कृषी प्रधान देश है। यहां की लगभग 55 से 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन मिट्टी की गुणवत्ता खराब होने और पारंपरिक कृषि में लाभ की कमी के कारण किसान अन्य विकल्पों की तलाश में हैं। ऐसे में मछली पकड़ने वाले किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प नजर आता है।

मछली पालन के लिए जरूरी हैं ये चीजें

मछली पालन के लिए सबसे पहले तालाब या तालाब का निर्माण करना चाहिए। इस भूमि को आवश्यक बनाने के लिए। मछली रखने के लिए पहला कदम तालाब या जगह बनाना है। और विशेषज्ञों की सलाह पर मछली पालन का काम बेहतरीन तकनीक से शुरू होता है।

इस तकनीक का प्रयोग करें

मछली पालन के लिए कई तकनीकें उपलब्ध हैं। बायो-फ्लोक तकनीक के माध्यम से मत्स्य विभाग ने हमेशा किसानों को मछली पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया है। विशेषज्ञों के अनुसार इस पद्धति की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके उपयोग से कृषि कार्य के साथ-साथ कम पानी, कम जगह, कम लागत, कम समय में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

लाभ 3 गुना तक हो सकता है

जानकारों के मुताबिक तालाब के निर्माण में करीब 50 से 60 हजार की लागत आई है। कई राज्य सरकारें तालाब निर्माण के लिए सब्सिडी भी देती हैं। ऐसे में मछली पालन किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। यदि आप मछली पालन में एक लाख रुपये का भी निवेश करते हैं, तो आप कम से कम 3 गुना अधिक लाभ कमा सकते हैं।

मछली के लिए बजार

भारत में कई राज्यों में मछली के व्यंजन बनाए जाते हैं। ऐसे में होटलों और दुकानों को मछली बेची जा सकती है। वहीं, भारत से मछली का निर्यात कई अन्य देशों में भी किया जाता है।

साथ ही केंद्र और राज्य सरकारें भी इस क्षेत्र में किसानों को स्वतंत्र बनाने के लिए कई योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित करने का प्रयास कर रही हैं।

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