मध्य प्रदेश में बाघों का सबसे ज्यादा अवैध शिकार हुआ
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने एक रिपोर्ट जारी करके कहा है कि अकेले मध्यप्रदेश में 2012 से अब तक 141 बाघों की मौत हुई है तथा पूरे देश में लगभग 657 बाघों को मौत 2012 से अब तक हुई है ।
स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फ़ोर्स के गठन के बाद भी मध्य प्रदेश में अभी तक इसका गठन पिछले 6 साल में नही हो पाया है और यह सिर्फ घोषणा और फाइलों तक सीमित रह गई है । वन मंत्री ने कहा है कि बाघों के बीच वर्चस्व की लड़ाई की वजह से बाघों की मौत हुई है ।
स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फ़ोर्स बनाने के बाद भी अभी मध्यप्रदेश में इसका गठन न हो पाना,जिसका परिणाम है कि देश में सबसे ज्यादा बाघों की मौत मध्य प्रदेश में हुई है ।
एक वक्त था जब मध्य प्रदेश की पहचान इन्ही बाघों की वजह से थे 2006 में पूरे देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में पाए जाते थे अब ये स्थान कर्नाटक और उत्तराखंड के पास है ।
अब तक पूरे देश मे 657 बाघों के मारे जाने की खबर है यह जानकारी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने हाल में जारी अपनी रिपोर्ट के जरिए दी ।
मध्यप्रदेश में होशंगाबाद,पन्ना, मंडला, सिवनी,शहडोल, बाला–घाट, बैतुल, छिंदवाड़ा के जंगल जंगली शिकारी के लिए सुरक्षित पनाह बन गए है ।
2006 में मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा 300 बाघ थे । मध्यप्रदेश में अब तक 141 बाघों की मौत हो चुकी है जिनमें से 89 बाघों की मौत वर्चस्व की लड़ाई में हुई है ।
देशभर में 697 बाघों की मौत में से 222 बाघों की मौत अवैध शिकार की वजह से हुई है । देश मे बाघों की संख्या घट रही है जो चिंताजनक है ।