माधवराव सिंधिया

माधवराव सिंधिया ने 26 साल की उम्र में पहला चुनाव जीतकर केंद्रीय राजनीति में प्रवेश किया था

ग्वालियर महाराज और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया का जन्म निश्चित रूप से शाही परिवार में हुआ था, लेकिन उन्हें हमेशा गरीबों के विकास की चिंता थी। और उनके शहर ग्वालियर के इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा।

उन्होंने ग्वालियर को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई। मां विजयाराजे सिंधिया की छत्रछाया में उन्होंने राजनीति और समाज सेवा को गहराई से देखा। उन्हें अक्सर ऐसा लगता था कि उनके देश में भी लोकतंत्र ने करवट ली है।

जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा तो छोटे से छोटे कार्यकर्ता तक पहुंच गए। हर कार्यकर्ता की जानकारी रखना उनकी खासियत थी। कभी-कभी वह बिना देखे ही अपने घर चला जाता था। यही वजह थी कि वह आम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थे।

10 मार्च 1945 को मुंबई में जन्मे माधवराव सिंधिया एक अच्छे राजनेता और अच्छे खिलाड़ी दोनों हैं। उन्होंने हमेशा खेल को बढ़ावा दिया।

माधव राव सिंधिया ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एमपीसीए कप्तान के रूप में भी कई मैच जीते। उन्हें क्रिकेट के अलावा बैडमिंटन में भी दिलचस्पी थी।

यही वजह थी कि उन्होंने ग्वालियर को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का मैदान दिया। साथ ही आईआईआईटीएम, आईएचएम और एलएनयूपीई जैसे आधुनिक शिक्षण संस्थान दिए गए ताकि यहां से आए बच्चे देश-दुनिया में सफलतापूर्वक ग्वालियर का झंडा फहरा सकें।

उन्होंने ग्वालियर के साथ मिलकर चंबल क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने पर भी काम किया। मालनपुर-बनमौर जैसे विकसित औद्योगिक क्षेत्र। कई बड़ी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भी इनमें निवेश किया था।

माधवराव सिंधिया ने लगातार नौ बार सेवा की है। 1971 में, 26 साल की उम्र में, उन्होंने पहली पसंद जीती। जिसमें उन्होंने कभी हार का मुंह नहीं देखा।

माधवराव सिंधिया हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वी से आगे रहे हैं। इस वजह से जनता के बीच इसकी लोकप्रियता और भी ज्यादा बढ़ने लगी। उन्होंने ग्वालियर लोकसभा के लिए 1984 के चुनाव में भाजपा के दिग्गज और पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी हराया था।

नई पहचान के साथ ग्वालियर स्टेशन माधवराव सिंधिया शिवपुरी-गुना लोकसभा क्षेत्र से भी सांसद थे। वे केंद्र सरकार में मंत्री भी थे।

वह राजीव गांधी सरकार के दौरान रेल मंत्री बने। 1986 से 1989 तक वे रेल मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने ग्वालियर स्टेशन को एक नई पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। स्टेशन पर विकसित सुविधाएं। इस बीच, यात्री उपकरण भी बढ़ गए हैं।

उन्हें कांग्रेस की दूसरी पंक्ति के नेताओं में गिना जाता था। कांग्रेस में उनकी एक अलग पहचान थी। माधवराव सिंधिया की मृत्यु 30 सितंबर, 2001 को मैनपुरी जिले (उत्तर प्रदेश) में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। उसके बाद, उनकी राजनीतिक विरासत का संचालन उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया।

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