लोकसभा में सरोगेसी से संबंधित विधेयक पास
सरोगेसी यानी की किराये की कोख । निःसंतान दम्पत्ति संतान पाने के लिए किराये की कोख के जरिये बच्चा पैदा करवा कर के माँ बाप बनाने का सपना डॉक्टरों की मदद से पूरा करते हैं । लेकिन कुछ साल में देखा गया है कि किराये की कोख को एक धंधा बना लिए हैं । इसलिए इस पर भी कानून बनाया जाना आवश्यक था । लोकसभा में सरोगेसी से संबंधित विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया है । इस विधेयक में देश में सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने और निःसंतान जोड़ो को संतान का सुख दिलाने का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है ।
विपक्ष द्वारा इस विधेयक पर संशोधन की की मांग को खारिज कर दिया गया । स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन सिंह ने इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सरोगेसी के व्यापार पर रोक लगाने के साथ साथ महिलाओं के उत्पीड़न को भी रोका जा सकेगा । मालूम हो कि रूस, यूक्रेन, और अमेरिका के कैलिफोर्निया में ही सरोगेसी वैध है और ब्रिटेन जापान ऑस्ट्रेलिया जर्मनी समेत कई देशों में व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबन्ध है । इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि बच्चा चाहने वाले महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए वही पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए और जिस महिला को सरोगेट मां बनाया जायेगा वो भारतीय हो और उसका सरोगेसी बच्चा चाहने वाले दम्पप्ति का करीबी रिश्तेदार हो और सरोगेसी बच्चा चाहने वाले दम्पप्ति कि शादी को कम से कम पाँच साल हो चुके हो और वे भारतीय नागरिक हो ।
सरोगेट मां की उम्र भी 25 से 35 वर्ष से अधिक नही होनी चाहिए । सरोगेसी के लिए भ्रूण की खरीदफरोख्त पर दस साल की सजा के साथ अधिकतम दस लाख रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है । सरोजरी निःसंतान जोड़ो के लिए एक वरदान जैसे है । जो महिला मां नही बन सकती और वे दम्पत्ति अपना बच्चा चाहते हैं वे डॉक्टरों की मदद से सरोगेसी के माध्यम से अपना बच्चा पैदा कर सकते है लेकिन बहुत सारी महिलाएं किसी कारणवश पैसे के खातिर सरोगेट मां बनने को व्यापर जैसा पेशा के रूप में अपनाना सुरु कर रही थी इसलिए इस पर कानून बनाना आवश्यक हो गया था । कभी कभी इसके माध्यम से महिलाओं के उत्पीड़न की भी घटनाये सुनने को मिलती थी इसलिए सरोगेसी पर कानून बनाना आवश्यक था ।