वैज्ञानिकों ने अल्फा साइन्यूक्लीन प्रोटीन से पार्किन्सन का इलाज खोजा
वैज्ञानिकों ने अल्फा साइन्यूक्लीन नामक प्रोटीन के जरिए मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों का इलाज खोजा है वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है जो डीएनए में हुई क्षति को सही करता है । इस प्रोटीन के जरिए पार्किंसन और इसके जैसी मस्तिष्क से संबंधित अन्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है । पहले साइन्यूक्लीन को कोशिकाओं में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार माना जाता था । साइंटिफिक रिपोर्ट में छपे एक शोध के मुताबिक मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों के कारण नष्ट हो रही तंत्रिका कोशिकाओं को बचाने मेंसाइन्यूक्लीन सहायक हो सकता है ।
शोधकर्ता विनेश का कहना है कि यूक्लीन नामक प्रोटीन डीएनए की मरम्मत कर सकता है इसकी यह खूबी कोशिकाओं को जीवित रखने के लिए बहुत जरूरी है । मस्तिष्क के बीमारी में साइन्यूक्लीन प्रोटीन के कारण डीएनए की मरम्मत करने की क्षमता प्रभावित होती है जिसकी वजह से तंत्रिका कोशिकाएं तेजी से खत्म होने लगती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस प्रोटीन की क्षमता को बढ़ा दिया जाए तो इससे मस्तिष्क से संबंधित बीमारी का इलाज करने का जरिया मिल जाएगा ।
पार्किंसन भी मस्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है जिसका शरीर के अंगों की गतिविधियां पर विपरीत असर पड़ता है । मस्तिष्क में एक रसायन पाया जाता है जो समस्त शरीर के अंगों पर नियंत्रण करने में की क्षमता रखता है । पार्किंसन बीमारी उम्रदराज लोगों के साथ साथ युवाओं को भी होने लगी है ।
ऐसा समझा जाता है कि पार्किंसन बीमारी अवसाद से संबंधित है । यहां यह जानना जरूरी है कि पार्किंसन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति दिमागी रूप से विकलांग नहीं होता है । लेकिन बीमारी की पहचान आसानी से नहीं हो पाती है क्योंकि इसके लिए कोई भी कारागार टेस्ट नहीं है । आमतौर पर इसके लक्षणों को देखकर हैं ही बताया जा सकता है कि व्यक्त इस रोग से पीड़ित है अथवा नहीं । न्यूरो फिजिशियन अपने अनुभव के आधार पर निष्कर्ष निकालते हैं कि व्यक्ति पार्किन्सन बीमारी से पीड़ित है या नहीं । पार्किंसन रोग के लक्षण के हिसाब से फिजिशियन इसका इलाज करते हैं । कभी कभी रोगियों पर दवा का असर नहीं होता बल्कि उसका साइड इफेक्ट अधिक हो जाता है । ऐसे में सर्जरी जरूरी हो जाती है । शोध के मुताबिक डीएनए की मरम्मत क्षमता को बढ़ा दिया जाए और इसके कारण तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं जो तेजी से नष्ट होती है उन पर नियंत्रण पा लिया जाए तो पार्किन्सन जैसी मस्तिष्क से सम्बंधित बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकेगा ।