सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता कानून बनाने की उम्मीद जगी
मोदी सरकार द्वारा कई सारे ऐतिहासिक फैसले लिए गए, मसलन जम्मू कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 को समाप्त करना, तीन तलाक को समाप्त करना, इसी के मद्देनजर अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता पर भी कानून बनाया जा सकता है । दरअसल अभी देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न धर्म और संप्रदाय के लोगों के लिए शादी, तलाक, संपत्ति, बच्चों को गोद लेने के नियम और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों को लेकर अलग अलग अपने नियम हैं । जहां किसी धर्म में किसी बात को लेकर पाबंदी है तो दूसरे धर्म में उसी बात को लेकर खुली छूट दी गई है । आजादी के समय से ही सभी धर्मों के लिए एक कानून बनाए जाने की मांग होती रही है । लेकिन इस पर आज तक कोई भी सहमति नहीं बन सकी । समान नागरिक संहिता का अर्थ है– सभी धार्मिक मान्यताओं से जुड़े कानूनों को समाप्त करके एक समान कानून लागू करना ।लेकिन भारत के विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के बीच उनके अपने निजी धार्मिक कानून है, ऐसे में उन सब को समाप्त करके एक समान नागरिक संहिता कानून लाना जरूरी भी है । लेकिन यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है । 2016 में विधि आयोग में एक प्रश्नावली जारी करके समान नागरिक संहिता पर जनता की राय जानने की कोशिश की थी जिसका मकसद खासतौर पर महिलाओं के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा के नाम पर हो रहे भेदभाव के बर्ताव को खत्म करना और उनके लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना था ।
हालांकि समान नागरिक संहिता उस समय अस्तित्व में आया था जब भारतीय संविधान का निर्माण हो रहा था । संविधान सभा ने इस पर चर्चा भी हुई थी लेकिन एक राय नहीं हो पाई थी और इसलिए अब तक इस पर कानून नहीं बन सका । तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने समान नागरिक संहिता कानून का समर्थन किया था लेकिन इस बात पर भी सभी को राजी नहीं कर सके थे तो उस समय इसे राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अनुच्छेद 44 में शामिल कर दिया गया था । दरअसल संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 भारतीय अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति,धार्मिक रिवाजों का संरक्षण करने का अधिकार देता है । लेकिन समान नागरिक संहिता के आ जाने से इन अधिकारों पर नियंत्रण हो जाएगा । आजादी के बाद जब पहली बार सांसद में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन कानून मंत्री भीम राव अंबेडकर द्वारा समान नागरिक संहिता पर कानून लाने की कोशिश हो रही थी तो संविधान सभा में उनका काफी विरोध हुआ था और इसके चलते ही कानून सिर्फ हिंदू कोड बिल तक सीमित रह गया और अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में मोदी सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता पर कानून बन सकता है । अब यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि क्या होता है …!!