स्वतंत्रता दिवस के ध्वजारोहण और गणतंत्र दिवस के झंडा फहराने में अंतर
हम में से सभी को पता होगा कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस क्यो मनाया जाता है लेकिन कम ही लोग जानते है कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने के तरीके अलग अलग होते है । आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया और स्वतंत्रता दिवस के समारोह हुए । प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहरा कर स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है तो वही गणतंत्र दिवस (26जनवरी) को राजपथ पर राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहart राते है । सभी देशों के लिए उसका राष्ट्रीय ध्वज एक तरह से उसकी पहचान होता है । भारत की ब्रिटेन से आजादी और भारत की अखंडता बनाये रखने के लिए हजारों लोगों ने अपना बलिदान कर तिरंगे झंडे का सम्मान बनाये रखा ।
दरअसल 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी इसी दिन ब्रिटिश झंडे को उतार कर भारतीय झंडा ऊपर चढ़ा कर फहराया गया था तो झंडे को नीचे से ऊपर ले जा कर फहराना ध्वजारोहण कहलाता है और 15 अगस्त को लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है । वही 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था इसलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर पहले से ऊपर बंधे हुए झंडे को राष्ट्रपति द्वारा राजपथ पर झंडे को केवल फहराया जाता है । भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत जब 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो दिल्ली के लाल किले के लाहोरी गेट पर तिरंगा फहराया था और जब भारतीय संविधान 26 जनवरी1950 को लागू हुआ तो गणतंत्र दिवस के समारोह का आयोजन राजपथ पर किया गया था ।
15 अगस्त को प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले से देश को संबोधित करते है और इसकी पूर्व संध्या यानी 14 अगस्त को शाम को राष्ट्रपति देश को संबोधित करते है लेकिन गणतंत्र दिवस पर किसी का सम्बोधन नही होता है । स्वतंत्रता दिवस पर परेड का आयोजन नही होता लेकिन गणतंत्र दिवस पर सैनिक और अर्धसैनिक बलों की परेड होती है इसमें राज्यो की झाकियां निकाली जाती है और रंगारंग कार्यक्रम भी होते है, साथ ही देश की तीनों सेना जल थल और नभ अपनी सैन्य शक्ति और संस्कृति का प्रदर्शन करते है । गणतंत्र दिवस के पर किसी न किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को बतौर मुख्य अतिथि भी बुलाया जातक है लेकीन स्वतंत्रता दिवस पर बाहर के अतिथि बुलाने की परंपरा नही है ।