शशि थरूर ने मोदी को कहा ‘मन की बात’ कहीं ‘मौन की बात’ न बन जाए
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ट्वीटर पर एक खुला ख़त लिखकर उन पर निशाना साधा है । शशि थरूर ने अपने पत्र में कहा है कि हमारे देश मे लोकतंत्र है । जो हमें किसी की भी आलोचना करने का अधिकार देता है । ऐसे में किसी की आलोचना को देशद्रोह की तरह देखना और ऐसा करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करना गलत है । दरअसल इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्मकार अनुराग कश्यप और अन्य लोगो ने पीएम मोदी के नाम खत लिखा था । यह खत देश भर में बढ़ते मोब लीचिंग के मामले पर लिखा गया और बाद में पाया गया कि जिन लोगो ने सरकार खत लिखे थे उन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हो गया ।
इसी की प्रतिक्रिया में शशि थरूर ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला खत लिखा है । शशि थरूर ने अपने खत में कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करेंगे, जिससे मन की बात मौन की बात न बन जाये ।शशि थरूर ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) यानी कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए लिखा है कि हर किसी को बोलने का अधिकार है और सरकार को अभिव्यक्ति की इस स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए । देश के सभी लोग पीएम मोदी से अपेक्षा करते हैं कि सरकार बोलने की आजादी का सम्मान करेगी । इसके लिए शशि थरूर ने पीएम मोदी के एक पुराने भाषण का भी हवाला दिया है ।
शशि थरूर ने कहा है कि ‘पीएम जी आप ने साल 2016 में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करते हुए भारत के संविधान को पवित्र किताब बताया था । आपने कहा था कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति, भाषण और समानता का अधिकार देता है । इसी लिए शशि थरूर ने संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला दिया था ।शशि थरूर ने अपने खत में आगे कहा है कि हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं हुई जो सरकार के खिलाफ बात करने पर उन्हें देशद्रोही मान लिया जाता है । लेकिन ऐसा होने से लोकतंत्र कभी भी मजबूत नहीं हो सकता है क्योंकि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार होता है ।
इसलिए उन्हें लगता है कि एजेंसियों और सरकार को उसका सम्मान करना चाहिए । शशि थरूर ने अपने खत में आगे इस बात का जिक्र किया है कि भारत के नागरिक के तौर पर हम चाहते हैं कि हम अपने किसी डर को आपके सामने राष्ट्र हित की महत्वपूर्ण बातें रख पाए । जिससे आप तक हर बात पहुंच पाए और उस पर कोई फैसला लिया जा सके । हम यह उम्मीद करते हैं कि आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे, जिससे ‘मन की बात’ ‘मौन की बात’ न बन पाए । मालूम हो कि कई सारे विद्वानों ने मोब लीचिंग के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए पीएम मोदी के नाम खत लिखा था । इसके बाद ही उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के मामले सामने आए थे ।