मिसाइल मैन नाम से जाने जाने वाले अब्दुल कलाम
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 में रामेश्वर में हुआ था । एपीजे अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति के पद पर 2002 से 2007 तक रहे । एपीजे अब्दुल कलाम को 1997 में भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया था । इसके पहले भी अब्दुल कलाम को 1981 में पद्मभूषण और 1990 में पद्म विभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया गया था । एपीजे अब्दुल कलाम की कहानी हर युवा के लिए एक प्रेरणा है । एपीजे अब्दुल कलाम अभाव के बीच भी अपनी पढ़ाई में हमेशा टॉप पर रहे थे । एपीजे अब्दुल कलाम ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री ली थी ।
ग्रेजुएशन की डिग्री के आखिरी साल एपीजे अब्दुल कलाम ने लड़ाकू विमान के प्रोजेक्ट पर काम किया था और यहीं से उनके मन मे उड़ने का सपना जागा था ।कलाम फाइटर पायलट बनना चाहते थे । इसके लिए परीक्षा के माध्यम से सिर्फ 8 लोगों का चुनाव किया जाना था और अब्दुल कलाम का इस परीक्षा में नौवां स्थान आया था । इस तरह एपीजे अब्दुल कलाम का फाइटर पायलट बनने का सपना टूट गया था । इससे अब्दुल कलाम काफी निराश हो गए थे । लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस असफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और वैज्ञानिक बनाने की ठानी । इसके बाद से वे लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते रहे । भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है ।
क्योंकि एपीजे अब्दुल कलाम भारत की मिसाइल प्रोग्राम को बुलंदियों तक पहुंचाने में अपना अतुलनीय योगदान दिया है । एपीजे अब्दुल कलाम जब राष्ट्रपति के पद पर नियुक्त थे तब भी बनाने वैज्ञानिकों को सलाह देते पाये जाते थे क्योंकि वे उनमे दिलचस्पी लिया करते थे । मालूम हो कि जब भारत का पहला राकेश अंतरिक्ष में भेजा जा रहा था तब एपीजे अब्दुल कलाम उस प्रोजेक्ट का हिस्सा थे । उस वक्त एपीजे अब्दुल कलाम के बॉस विक्रम साराभाई थे । भारत का पहला रॉकेट अंतरिक्ष में केरल के थुंबा से भेजा गया था । विक्रम साराभाई एपीजे अब्दुल कलाम के न सिर्फ बॉस थे बल्कि उनके गुरु भी थे । एपीजे अब्दुल कलाम अपने हेयर स्टाइल को लेकर भी पूरी दुनिया में पहचाने जाते है ।
एपीजे अब्दुल कलाम 2015 में शिलांग गए थे और 27 जुलाई को आईआईएम शिलांग में Creating a liveable planet विषय पर उन्हें लेक्चर देना था । इसी लेक्चर के दौरान एपीजे अब्दुल कलाम वहीं गिर पड़े और जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया पर डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया । मालूम हो कि एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में यह भारत में 21 मई 1998 में अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था, जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया क्योंकि इस परीक्षण से भारत को परमाणु ताकत मिल गई थी । अमेरिका की खुफिया सैटलाइट लगातार उस वक्त भारत पर निगाह बनाये हुए थी । लेकिन इसके बावजूद भी इस मिशन की जानकारी उसे नहीं हो सकी थी ।
पोखरण में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर कई सारे प्रतिबंध लगाए इसके बावजूद भी भारत मजबूती के साथ खड़ा रहा । राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए एपीजे अब्दुल कलाम ने अपना सपना फाइटर जेट को उड़ाने का सपना पूरा किया । अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सुखोई फाइटर जेट से उड़ान भरी और इस विमान से उड़ान के अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि विमान को कंट्रोल करने की कोशिश में इस कदर हुए थे कि डरने के लिए समय ही नहीं मिला । एपीजे अब्दुल कलाम ने जिस वक्त सुखोई लड़ाकू विमान से उड़ान भरी थी उस वक्त उनकी उम्र 74 वर्ष थी ।