बीसीसीआई का बेड़ा पार लगाएंगे सौरव गांगुली

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को बीसीसीआई का अध्यक्ष बनाया गया है । बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर सौरव गांगुली को कोई चुनोतियों का सामना करना होगा । मालूम हो कि सौरव गांगुली को दादा के नाम से भी बुलाया जाता है । अब भारतीय क्रिकेट को एक बार फिर से दादा की जरुरत है । मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन( सीओए) की मनमानी की वजह से भारतीय क्रिकेट बोर्ड का प्रशासन एक तरह से चरमरा गया है । बीसीसीआई के अध्यक्ष का पद टीम के कप्तान से भले ही अलग है लेकिन चुनोतियाँ समान ही है । मालूम हो कि सौरव गांगुली को बीसीसीआई का अध्यक्ष के पद पर निर्विरोध चुने गया ।

सौरव गांगुली ने बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध नामांकन के बाद कहा था कि &बीते कुछ साल भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिये झांसी के दौर के जैसे रहा है । अगले कुछ महीने में अपनी टीम के साथ बीसीसीआई को मजबूत बनाने पर काम किया जाएगा&। मालूम हो कि सौरभ गांगुली ने साल 2000 में आईसीसी चैंपियन ट्रॉफी से भारतीय क्रिकेट के खोए वजूद को वापस दिलाने की कारीगरी शुरू की थी और भारतीय क्रिकेट टीम को मजबूत बनाने के लिए काम किया जो कि मैच फिक्सिंग की वजह से अपना वजूद खोने वाला था और अब 19 साल बाद फिर से सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष बनकर बीसीसीआई को मजबूत बनाने और उसके कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए बीसीसीआई को मुस्किलो के दौर से निकाल दिखाएंगे ।

इस बार सौरव गांगुली को बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर बीसीसीआई के वजूद को वापस लाना है । मालूम हो कि सन 2000 में मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद सौरभ गांगुली भारतीय टीम के कप्तान बनाए गए । उसके बाद भारतीय टीम आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में टीम इंडिया पहुंचा कर एक नए योद्धा के रूप में सामने आए थे । हालांकि फाइनल के मैच में न्यूजीलैंड से भारतीय टीम हार गई थी । लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम क्रिकेट प्रशंसकों का दिल जीतने में कामयाब रही । गांगुली के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीती और श्रीलंका में भी चैंपियंस ट्रॉफी जीती । साल 2002 में नैटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में सौरभ गांगुली के नेतृत्व में ही भारतीय क्रिकेट टीम को जीत मिली थी और इस मौके पर खुद उन्होंने लॉर्ड्स के स्टेडियम में अपना टीशर्ट लहराया था ।

गांगुली के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम 2003 के विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी जो कि गांगुली की बड़ी उपलब्धियों में से एक है । इसके बाद बीसीसीआई ने ग्रैग चैपल को कोच बना दिया जिन्होंने सौरव गांगुली को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया और सरेआम गांगुली पर आरोप लगाए थे । लेकिन दादा ने हार नहीं मानी और अपने प्रदर्शन के दम पर वापसी की थी । साल 2008 में नागपुर के क्रिकेट मैदान पर सौरव गांगुली ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया । अब एक बार फिर से बीसीसीआई के अध्यक्ष के तौर पर सौरभ गांगुली के पास तमाम चुनौतियां हैं और पूरी उम्मीद है कि बीसीसीआई को चुनोतियों से गांगुली बाहर निकालेंगे ।

 

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