सूर्य से ज्यादा चमकीला और विशाल तारा ब्लैक होल के डर से आकाशगंगा से दूर भाग रहा
ब्रह्मांड रहस्य से भरपूर है । अब ब्रह्मांड के संदर्भ में एक अनूठी घटना सामने आई है । खगोलविदों ने एक ऐसे तारे की खोज की है जो ब्लैक होल के डर की वजह से हमारी आकाशगंगा से बहुत तेजी से बाहर निकल रहा है ।
इस तारे का नाम है एस5 एचवीएस1 । यह तारा हमारी आकाशगंगा के केंद्र से 40 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दूर जा रहा है । मौजूदा समय में यह तारा धरती से करीब 29 हजार प्रकाश वर्ष दूर है । टिंग ली की अगुवाई वाली कार्नेगी ऑब्जरवेटरी के खगोलविदों की टीम ने घटना की जानकारी का पता लगाया है ।
इस तारे के अध्ययन के लिए खगोलविदों ने ऑस्ट्रेलिया में स्थापित सदर्न स्लेटर स्ट्रीम स्पेक्ट्रोस्कोपी सर्वे टेलीस्कोप का प्रयोग किया है । ली के अनुसार “यह तारा हमारी सूर्य से दो गुना विशाल है और दस गुना ज्यादा चमकीला भी है ।
यह तारा अप्रत्याशित गति से हमारे अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहा है । खगोलविदोंकी टीम स्पेसक्राफ्ट की सहायता से इस तारे पर नजर रखे हुए हैं । उनका कहना है कि जिस तरह से यह तारा सेगीतेरियस ए नामक ब्लैक होल से बच रहा है यही रहस्यमयी है ।
इस तारे का द्रव्यमान सूर्य से चार लाख गुना अधिक है । खगोलविदों की परिकल्पना है की एस5 एचवीएस 1 एक ही समय मे दो तारा प्रणाली का हिस्सा है । यह प्रणाली ब्लैक होल के काफी करीब पहुच गई थी और एक तारा ब्लैक होल में चला गया था और दूसरा तारा काफी तेजी से उस ब्लैक होल से दूर जा रहा है ।
खगोलविदों का मानना है कि इस तारे को आकाशगंगा से पूरी तरीके से बाहर निकलने में करीब 10 करोड़ साल लग जाएंगे । खगोलविदों ने यह भी बताया कि करीब 50 हजार साल पहले यह तारा हमारी आकाशगंगा के केंद्र में था ।
आइये जानते हैं क्या होता है ब्लैक होल
ब्लैक होल को अंतरिक्ष की सबसे रहस्यमयी रचना कहा जाता है । इसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि इसके पास से गुजरने वाला कोई भी खगोलीय पिंड इसमें समा जाता है । ब्लैक होल इतना ज्यादा शक्तिशाली होता है कि प्रकाश भी इसमें समाप्त हो जाता है ।
खगोलविदों का मानना है कि कोई भी तारा अपने अंतिम समय में ब्लैक होल में तब्दील हो जाता है । खगोलविदों का मानना है कि हर आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल होता है जो हमेशा अपने आसपास की खगोलीय पिंडों, तारों और उल्कापिंड को अपने अंदर समेट कर अपना आकर दिन-ब-दिन बड़ा करता जा रहा है । यह भी हो सकता है कि आने वाले सालों में सारे आकाशीय पिंड एक बड़े से ब्लैक होल में समा जाए ।