आदर्श गांव बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है ग्राम प्रधान ,ग्राम अधिकारी, क्षेत्र का थाना ,गांव का विद्यालय के अध्यापकों , उसके बाद ब्लॉक के अधिकारी डीएम और एसडीएम का महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

अपने गांव को एक आदर्श गांव कैसे बनाए

आदर्श गांव बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है ग्राम प्रधान ,ग्राम अधिकारी, क्षेत्र का थाना ,गांव का विद्यालय के अध्यापकों , उसके बाद ब्लॉक के अधिकारी डीएम और एसडीएम का महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

आदर्श गांव बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों पर विचार होनी चाहिए 1-एक गांव से दूसरे गांव को मिलाने वाली सड़कों पर अधिकार आक्सीजन वाले वृक्ष लगवाना 2-प्रत्येक मोहल्ले में लड़कियों के लिए सिलाई, कढ़ाई, बुनाई सेंटर खुलवाना 3-प्रत्येक मोहल्लों में विद्यार्थियों के लिए निशुल्क कोचिंग सेंटर खुलवाना, 4-स्वास्थ्य विभाग एवं पीने वाले पानी की सुरक्षा करना , 1- एक गांव से दूसरे गांव को मिलाने वाली सड़कों पर अधिक ऑक्सीजन देने वाले व सुंदर दिखने वाले वृक्ष लगवाया जाए।

जब हम घर से बाहर निकलेंगे तो हमें ताजी हवा एक सुंदर सा दृश्य देखने को मिलेगा तो प्रफुल्लित ,स्वस्थ होगे तभी हमारे मन में अच्छे विचार आएंगे क्योंकि चित्र देखकर ही मन में विचार आते है ।

प्रत्येकव्यक्ति की जिम्मेवारी है की स्वच्छ पानी की रक्षा करें अधिक मात्रा में पानी बेफिजूल ना बहाने क्योंकि आने वाला जो कल है वह ऑक्सीजन के बाद पानी का है।

स्वच्छता पर भी ध्यान देना है अधिकतर ग्राम प्रधान गांव के जो सफाई कर्मी हैं उनसे मासिक पैसे लेकर उसे ग्राम प्रधान छुट्टी दे देते हैं यह जो गुस्ताखी करते हैं इसमें बदलाव करने की जरूरत है ग्राम प्रधानों को अपने दायित्व के प्रति ईमानदार होना चाहिए।

2. हम शिक्षा की बात करते हैं गांव के प्रत्येक मोहल्ले में लड़कियों व महिलाओं के लिए सिलाई ,कढ़ाई ,बुनाई सेंटर खुलवाने चाहिए जिससे हमारी मां, बहन ,बेटी अपने आप पर आत्मनिर्भर हो सके ।

महिलाएं जिस दिन आत्मनिर्भर होने लगेंगी उसी दिन से हमारे देश का भविष्य उज्जवल होगा घर के महिला शिक्षित होगी तो समाज शिक्षित होगा इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह चाहिए कि वह अपने बच्चों को अच्छी तालीम दे।

किसी महान शख्स ने कहा था कि यदि मुझे 50 परसेंट महिला मिल जाए तो मैं देश को 6 महीने में बदल दूंगा और यदि 100% पुरुष मिलते हैं तो देश को बदलने में 1 साल लगता है।

3-गांव के प्रत्येक मुहल्लों में निशुल्क कोचिंग सेंटर होनी चाहिए। आज इतने पढ़े लिखे बेरोजगार जो b.e.d डीएलएड करके घूम रहे हैं उनको सरकार उन्हें रोजगार दे सकती है और यह पैसा नरेगा से दे सकती है।

क्योंकि जब हमारे बच्चे पढ़ेंगे तो ही आगे बढ़ेंगे। प्रत्येक गांव में एक लाइब्रेरी होनी चाहिए अच्छी अच्छी किताब ने उपलब्ध करानी चाहिए क्योंकि गांव , देहात में बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन उनके पास पैसे ना होने के कारण वह पढ़ नहीं पाते हैं ।

अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर कहीं कमाने चले जाते हैं उनका भविष्य बाद में अंधकार में हो जाता है। आदर्श गांव बनाने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका आबकारी विभाग की होती है ।

क्योंकि देसी जहरीली शराब बनाई जाती हैं,आबकारी विभाग अपना दायित्व अच्छे निर्वाहन नहीं करती है। एक कहानी के माध्यम से बताना चाहता हूं कि एक महिला अपने पति को ₹100 के नोट देकर बाजार भेजती है घर की सामग्री खरीदने के लिए और वह व्यक्ति सबसे पहले शराब की दुकान में 50रू का नशे की सामग्री लेता है उसके बाद बचे हुए पैसे से घर में आवश्यकता थी।

1 किलो आलू प्याज टमाटर की थी और व्यक्ति 500 ग्राम सब्जी लेकर आता है, उस घर में सदस्यों की संख्या अधिक है वह महिला सभी को खाना पूर्ती के लिए जब खाना बनाती है तो उसमें नमक ज्यादा या पानी अधिक मिलाकर बनाती है।

सामग्री कम होने के कारण खाना स्वादहीन होता है और वही व्यक्ति जो सब्जी लाता है खाना खाता है तो वह महिला को गाली- गलौज , मारता -पीटता है इससे घरेलू हिंसा बढ़ता है और धीरे-धीरे महिला सब्र की सीमा टूटती जाती है । वह महिला एक दिन फांसी लगा लेती है ऐसे समाज में बहुत देखने को मिलता है।

गांव में लोग शराब पीकर झगड़ा करते हैं ,गाली गलौज करते हैं, बहन बेटियों को मारते हैं, जब इन शराबियों के पास पैसे नहीं होते तो ये व्यक्ति चोरी ,छिनौती डकैती करते हैं क्योंकि इनको काम धंधा करना अच्छा नहीं लगता है।

जिस दिन देश से नशीली शराब बंद होगी उसी दिन से एक अच्छे समाज का निर्माण होगा माना कि सरकार की आय का साधन है लेकिन समाज अच्छी चाहिए इसलिए सरकार से अनुरोध है कि शराब बंद करा देनी चाहिए।

क्योंकि बच्चा जिस परिवेश में रहता है उसका मन उसी तरह चलता है ।पहले बच्चा देखता है, फिर सीखता है, फिर करता है। प्रत्येक गांवों के हर शख्स को यह चाहिए कि अपने आने वाली पीढ़ीयों को संस्कारी एवं परोपकारी बनाए तभी हमारा समाज अच्छा मजबूत बन सकता है।

गांव के प्रत्येक माता-पिता का यह दायित्व होना चाहिए जब उनका बच्चा विद्यालय से घर वापस आए तो उनसे यह सवाल नहीं पूछना चाहिए कि आज आपको किसी ने मारा तो नहीं, आज तुमको कोई तकलीफ तो नहीं है ।

बल्कि यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि आज आपने कितने लोगों का मदद किया, किसी पक्षी को पानी पिलाया, किसी बूढ़े बुजुर्ग का सहयोग किया और आपने आज कितने अच्छे कार्य किए ऐसे विवेचना करनी चाहिए ।

अच्छे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए गलती करने पर माता-पिता का दायित्व है कि वह अपने बच्चे को समझाए। आदर्श गांव बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।

ग्राम प्रधान की क्योंकि आज का समय देखते हुए मैं कई गांव का अध्ययन किया और पाया कि ग्राम प्रधान थाने से मिलकर भाई -भाई में जात पात को लेकर दंगा करवाना लड़ाई करवा कर FIR करवाते उसके बाद थाने के थानाध्यक्ष या सिपाहियों से मिलकर फिर समझौता करवाते हैं ।

बदले में दोनों भाइयों से वीडियो से पैसा लेते हैं उसके बाद सुला सुलाई करवाते हैं इससे गांव की शांति भंग होती है। इस तरह की राजनीति दिन-ब-दिन हमारे समाज को खोखला करती है।

ऐसे में अब जरूरत है पढ़े-लिखे युवा लोगों की जो अच्छी सोच के साथ अपने गांव अपने समाज अपने देश की रक्षा करें और और अच्छे-अच्छे कार्य करके अपने गांव को उन्नति की ओर ले जाए।

एक अच्छे इंसान से एक अच्छे समाज का, एक अच्छे समाज से एक अच्छे गांव का ,एक अच्छे गांव से एक अच्छे जिले का, एक अच्छे जिले से एक अच्छे प्रदेश का और एक अच्छे प्रदेश से एक अच्छे देश का निर्माण होता है।

अतः आप सभी देश के नागरिकों से अपील है की अपना अपना दायित्व अच्छे से निर्वहन कर अपने देश अपने समाज को सुदृढ़ है एवं मजबूत बनाएं।

 

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Dheerendra

लेखक धीरेंद्र सिंह नागा

(ग्राम -जवई,  पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )

उत्तर प्रदेश : Pin-212218

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