अमेरिकी के एयर स्ट्राइक में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर सुलेमानी की मौत से बढ़ेगा दोनों देशों में तनाव
अमेरिका ने एयर स्ट्राइक में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर कासिम सुलेमानी को बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मौत के घाट उतार दिया है । इसके बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है । ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी का कहना है कि ईरान और क्षेत्र के देश सुलेमानी की हत्या का बदला अमेरिका से जरूर लेंगी । ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खाने का कहना है कि अमेरिका से इसका बदला जरुर लिया जाएगा ।
वही ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जाफरी ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे । उन्होंने ट्विट करके अमेरिका के विषय में कहा है कि अमेरिका ने आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन से लोहा लेने वाले जनरल सुलेमानी को निशाना बनाया और यह अमेरिका की खतरनाक और मूर्खतापूर्ण हरकत है।
अब आगे हर चीज के लिए अमेरिका खुद जिम्मेदार होगा । वहीं अमेरिका ने इराक के सैनिक बल के कमांडर ने अपने लड़ाकों को अलर्ट रहने के लिए कहा है और अमेरिका ने अपने नागरिकों को तुरंत इराक छोड़ देने के लिए कहा है । ईरान के प्रधानमंत्री अब्दुल मेहंदी का कहना है कि बगदाद हवाई अड्डे पर हमले के बाद इराक की संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है ।
खाड़ी देशों के साथ पूरी दुनिया युध्द की वजह बन जाएगा । उनका कहना है कि अमेरिका ने एयर स्ट्राइक से इराक में सेना की मौजूदगी को शर्त को तोड़ा है । मालूम हो कि अमेरिकी हमले में मारे गए मेजर जनरल कासिम सुलेमानी ईरानी हितों के कई मोर्चों पर भूमिका निभाई थी और सीधे इरान के सुप्रीम लीडर को रिपोर्ट करते थे ।
सुलेमानी की मौत के बाद पूरे एशिया में तनाव व्याप्त है । मालूम हो कि अमेरिका ने यह हमला अमेरिका के इराक में स्थित दूतावास पर इराकी शिया समुदाय के हिंसक प्रदर्शन के बाद किया गया है क्योंकि इन प्रदर्शनकारियों का लिंक सीधे तौर से ईरान से था । सुलेमानी ने 1989 में रिवॉल्यूशनरी गार्ड को ज्वाइन किया था ।
उन्होंने 80 के मध्य में इराक के शासक सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए सीक्रेट मिशन की शुरुआत की थी । इसके अलावा खाड़ी युद्ध के बाद अफगानिस्तान सीमा से होने वाले नशीले पदार्थों के व्यापार को रोकने की जिम्मेदारी भी इन्होंने निभाई थी । कासिम सुलेमानी को साल 2002 में प्रमुख बनाया गया था जो रिवॉल्यूशनरी ग्रुप की ही एक यूनिट है ।
जिस वक्त बगदाद में सुलेमानी पर अमेरिका ने राकेट से हमला करवाया उसके कुछ वक्त पहले उन्होंने एक वार्निंग जारी करते हुए कहा था कि अमेरिका अपने दूतावास पर हुए हमले का बदला लेने के लिए कोई कार्यवाही कर सकता है हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि ईरान युद्ध की तरफ नहीं बढ़ रहा है लेकिन एक संभावित खतरे की तरफ जरूर जा रहा है ।
अमेरिका सुलेमानी को ईरान में स्थित अमेरिकी संगठित सेनाओं के ठिकानों पर हमला करने का दोषी मानता रहा था । दोनों देश अमेरिका और ईरान के तनाव की वजह से वैश्विक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है और भारत के लिए भी यह स्थिति नुकसान दे होगी ।
इसलिए भारत इस पर करीब से नजर बनाए हुए हैं । अगर अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होता है तो इससे भारत को आर्थिक तौर पर कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है साथ ही अन्य देशों के साथ समन्वय बनाने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ेगी ।
भले ही भारत ने ईरान से पूरी तरीके से तेल खरीदना बंद कर दिया है लेकिन अफगानिस्तान में पाकिस्तान के प्रभाव को रोकने के लिए भारत को ईरान की जरूरत रहेगी । अमेरिका और ईरान के बढ़ते तनाव के बीच कच्चे तेल की कीमतों में वृध्दि भी देखने को मिलेगी ।