सस्ती लोकप्रियता हासिल करना

सस्ती लोकप्रियता हासिल करना

यह देखना अजीब है कि लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए खुद को कहीं भी और कितना भी नीचे गिरा लेते हैं। बंगलौर में CAA-NRC-NPR विरोधी जनसभा में भी कल ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब मशहूर होने को बेताब लड़की Amulya Leona ने बिना किसी की परवाह किए मंच से “पाकिस्तान जिंदाबाद “के नारे भीड़ से लगवाने लगी।यह सारा घटनाक्रम तब हुआ जब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मंच पर मौजूद थे।हिंदी पट्टी के लोग पहले से ही उन्हें संदेहात्मक नजरों से देखते हैं ऐसे में उनकी मौजूदगी में “पाकिस्तान जिंदाबाद”के नारे उनकी छवि के लिए आग में घी डालने जैसी थी।

हालात यहां तक पहुंच गए कि ओवैसी को मंच से उठकर उस लड़की से माइक छीनने आना पड़ा क्योंकि वह जानते थे कि यह ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ पूरे भारत मे उनकी किरकिरी करवाएगा। अभी उनकी पार्टी के पूर्व विधायक और वकील वारिस पठान के “15 करोड़” वाले बयान का पूरे भारत में विरोध हो ही रहा था कि ये नया शिगूफा आ गया।इस घटना ने Mr.ओवैसी का सिरदर्द बढ़ाया जरूर होगा।

हालांकि AIMIM प्रमुख ने कहा है कि उस लड़की से उनका या उनकी पार्टी का कोई लेना-देना नही है। उस लड़की की फ़ोटो देखी है मैंने। शक्ल और सोच से वह शायद सारी उम्र मेहनत करने के बावजूद इतनी “इंस्टेंट प्रसिद्धि” हासिल न कर पाती जितनी कि कल “पाकिस्तान जिंदाबाद” ने उसे करवा दी। सम्भवतः वह यही चाहती थी। वह कोई खास शक्लोसूरत की नही है।सांवले रंग की यह लड़की वामपंथी विचारधारा से प्रेरित और “बुर्जुआ क्रांतिकारी” जैसी लग रही थी।

नेता बनने की चाहत में उसने बाल जरूर छोटे करवा लिए लेकिन सोच बड़ी नही कर पाई। कभी-कभी लोग लाख कोशिश करने के बाद भी जब “फेमस” नही हो पाते तो ऐसी चीजों का सहारा लेते हैं। लेकिन उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी प्रसिद्धि किसी काम की नही जो उसे लोगों की नजरों में गिरा दे।हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय भी उसके “पाकिस्तान जिंदाबाद”के नारे को बहुत पॉजिटिव नही ले रहा होगा।

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