अनुशासन
अनुशासित व्यक्ति ही सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ने वाले होते हैं।
प्रथम अनुशासन बच्चा अपने घर पर सीखता है तथापि पाठशाला में।
अनुशासित छात्र में यह पांच लक्षण होने चाहिए तभी वह सफल होता है।
काक चेष्टा, बको ध्यानं,
स्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पहारी, गृहत्यागी,
विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥
हिन्दी भावार्थ:
एक विद्यार्थी मे यह पांच लक्षण होने चाहिए..
कौवे की तरह जानने की चेष्टा,
बगुले की तरह ध्यान,
कुत्ते की तरह सोना / निंद्रा
अल्पाहारी, आवश्यकतानुसार खाने वाला
और गृह-त्यागी होना चाहिए ।
यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी स्वयं उठाए व प्रत्येक घर में अनुशासन का पालन किया जाए तो हमारा समाज भी अनुशासन में रहेगा।
यदि आज का समय देखा जाए तो सिर्फ और सिर्फ आर्मी में ही डिसिप्लिन है यानी अनुशासन।
जितना अनुशासन का पालन हमारी आर्मी करती है क्या हमें अपने पाठशाला के छात्र व छात्राओं को उनके जैसे अनुशासन में नहीं रखना चाहिए ? यदि स्कूल में अनुशासन कठोर होंगे तो प्रत्येक पाठशाला के बच्चे स्कूल की, पूर्ण रूप से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह पूर्ण रुप से अनुशासित ही रहेंगे।
यह आधुनिक बच्चों के पंच लक्षण।
फिल्मचेष्टा इंस्टाध्यानम् घोरनिद्रा तथैव च
पिज़्ज़ाहारी बर्गरधारी विद्यार्थी पंच लक्षणम् !!!!!
लेखिका :-गीता पति ( प्रिया) उत्तराखंड
यह भी पढ़ें :–