शिशुओं को छः माह से पहले ठोस आहार देने से हो सकती है कि स्वास्थ्य समस्याएं

शिशुओं को 6 माह से पहले ठोस आहार देने से हो सकती है कि स्वास्थ्य समस्याएं

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डॉक्टर्स का कहना होता है कि जन्म के बाद से शिशु को कम से कम 6 माह तक सिर्फ मां का दूध की पिलाना चाहिए और 6 महीने बाद उम्र बढ़ने के साथ उसे थोड़ा थोड़ा ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए लेकिन साथ ही उसे मां का दूध पिलाना जरूरी होता है । आमतौर पर लोग को ऐसा करना है इसलिए कहा जाता है क्योंकि कम उम्र में छोटे शिशु को यदि ठोस आहार दिया जाने लगेगा तो वे उसे पचा नहीं पाएंगे । मगर ऐसा नहीं है ।

अभी हाल में ही हुए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो मां बाप अपने बच्चों को 6 माह से कम उम्र में ठोस आहार देने लग जाते हैं उनके शिशु को आने वाले भविष्य में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है । यह अध्ययन जॉन्स हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के द्वारा किया गया है ।

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शोध में बताया गया है कि शिशु को 6 महीने से कम उम्र में ठोस आहार देने की वजह से उनके हाथ में बैक्टीरिया और बैक्टीरियल बायप्रोडक्ट लेबल में काफी ज्यादा अंतर हो जाता है और ये बैक्टीरियल बायप्रोडक्ट ही एक तरह के फैटिएसीड की कड़ी होते हैं ।

ब्लूमबर्ग स्कूल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर मूलर का कहना है कि जब शिशु को जल्दी ठोस आहार देना शुरू कर देते हैं तो आगे जाकर उनमें मोटापे की समस्या देखने को मिलती है यह बात पहले भी किए गए कई शोधों में बताई गई है ।

लेकिन इस शोध में इस बात का पता चलता है कि बच्चों में जल्दी अगर उन्हें ठोस पदार्थ दिया जाने लगेगा तो आगे चलकर उन्हें मोटापा की समस्या गटबैक्टीरिया के कारण देखने को मिलता है

इसीलिए सभी शिशु रोग विशेषज्ञ/डॉक्टर शिशु को सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क इस फॉर्मूला मिल्क देने की बात करते हैं और 4 से 6 महीने के बाद ही शिशु को ठोस आहार देने की शुरुआत करने के बारे में कहते हैं और इनको ब्रेस्ट मिल्क के साथ सप्लीमेंट के तौर पर देने के बाद विशेषज्ञ कहते हैं ।

डॉक्टर का कहना है कि 6 महीने के बाद ही शिशु को पूरी तरह से ठोस आहार देना ठीक रहता है उसके पहले नहीं । इस शोध में यह निष्कर्ष निकलता है कि 6 महीने से पहले शिशुओं को ठोस आहार दिया जाना शुरू कर दिया जाता है तो आगे चलकर बचपन से ही उन्हें मोटापा की समस्या हो जाती है ।

इसके अलावा उनकी सेहत पर भी असर होता है । इसकी वजह से उनमें एग्जिमा,अस्थमा जैसे कई तरह की एलर्जी और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं देखने को ज्यादा मिलती हैं ।

शिशु को कम उम्र में ही ठोस आहार देने से उनका मेटाबॉलिज सिस्टम प्रभावित होता है । बता दें कि मेटाबॉलिज्म शरीर के फैट बर्न को क्रिया में काफी महत्वपूर्ण होता है और जिन शिशुओं का मेटाबॉलिज्म ठीक नहीं रहता उनमें मोटापा की संभावना सबसे ज्यादा देखने को मिलती है ।

इसके अलावा ऐसे शिशुओं में इम्यून सिस्टम कमजोर रहता है और इस वजह से उनमें कई तरह के बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन होने की संभावना भी बढ़ जाती है । इसलिए शिशु को छह महीने से पहले ठोस आहार नहीं देना चाहिए और ठोस आहार देने की शुरुआत धीरे-धीरे करनी चाहिए ।

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