आम आदमी पर भारी पड़ रही कोरोना महामारी, भारत के लोगों में विदेशियों से अलग है इसके लक्षण
भारत में कोरोना वायरस ने आम लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। कोरोना वायरस महामारी अब आम आदमी पर भारी पड़ रही है। दूसरी बात् भारत के संबंध में कोरोना वायरस के लक्षण अन्य विदेशियों की तुलना में अलग नजर आ रहे हैं।
इस बात की जानकारी आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) के इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित शोध से पता चलता है।
इस शोध में पाया गया कि उत्तर भारत के क्षेत्र में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में सांस और बुखार की समस्या कम देखने को मिल रही है।
144 मरीजों पर हुए शोध के आधार पर इस शोध में बताया गया है कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में ही बुखार और सांस से जुड़ी परेशानी कम देखी गई जबकि दूसरे देशों में बुखार कोरोना वायरस का प्रमुख लक्षण रहा है।
चीन में भी 44% कोरोना वायरस मामले में बुखार ही प्रमुख लक्षण था। इस शोध में यह भी पाया गया कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में वे लोग अधिक थे जो दूसरे राज्यों की यात्रा किये और संक्रमित हो गए या फिर भीड़ भाड़ के इलाकों – एयरपोर्ट, अन्य सार्वजनिक स्थल पर दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आये तब कोरोना वायरस से संक्रमित हुये।
वही कोरोना वायरस के संबंध में कि हाल में ही जारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के 75 फीसदी रिकवरी दर के बाद कोरोना वायरस के मामलों में कमी देखी गई।
अभी भारत में कोरोना वायरस से रिकवरी की दर 73 फ़ीसदी तक पहुंच गई है और देश के 5 राज्य दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात, जम्मू कश्मीर, त्रिपुरा में कोरोना वायरस रिकवरी दर इससे अधिक है।
एसबीआई इकोरैप नाम की इस रिपोर्ट में कोरोना वायरस को लेकर केंद्र का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 75 फीसदी की रिकवरी रेट पर पहुंचने के लिए कोई निश्चित मापदंड फिलहाल नहीं है।
दुनिया के विभिन्न देशों के लिए कोरोना वायरस से रिकवर होने की दर अलग-अलग है। ब्राजील में कोरोना वायरस का रिकवरी दर 69% है, मलेशिया में 79.5, बहरीन 77.1, ईरान 76.6, चीन 77, चिल्ली 70.4 फीसदी रिकवरी दर है।
अगर इस तरह से देखें तो भारत में भी रिकवरी पीक के करीब पहुंच गयी है। वहीं कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 2 से 3 सप्ताह में भारत में कोरोना वायरस से रिकवरी 75 फीसदी पर पहुंच जाने की संभावना है।
वह इस रिपोर्ट में महाराष्ट्र, तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे देशों में प्रति दस लाख की जनसंख्या पर हो रही बेहद कम टेस्टिंग को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस के केस दुगना होने की गति काफी तेज है।
यहां कोरोना वायरस के केस 22 दिन में ही दुगने हो रहे हैं जबकि दुनिया के अन्य देशों में कोरोना वायरस के मामले दुगने होने में 43 दिन का समय लग रहा है। इसलिए भारत के लिए यह चिंताजनक बात है।
कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित भारत में आम आदमी हो रहे हैं क्योंकि आर्थिक गतिविधियां ठप होने जाने से आम आदमी की आय बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार पूरे भारत में इस साल प्रति व्यक्ति आय में ₹27000 की कमी आने की संभावना है।
वहीं तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों में इसका प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा, यह पर प्रति व्यक्ति आय में ₹40000 तक की जा सकती है।
इस रिपोर्ट में सरकारी मुद्रास्फीति के आंकड़े पर भी सवाल किया गया है। लॉकडाउन के कारण नेशनल सैंपल सर्वे(NSS) पुराने फार्मूले के आधार पर ही महंगाई का अनुमान लगाना सही नही है।
क्योकि इसमे उन वस्तुओं की कीमत को जोड़ा गया जो लॉकडाउन के दौरान इस्तेमाल नही हो रही थी जबकि लॉकडाउन के कारण लोग जिन खाने पीने की चीजों पर ज्यादा खर्च कर रहे थे जिनकी कीमत लॉक डाउन के दौरान ज्यादा थी।

इस तरह से खुदरा महंगाई की दर जुलाई के महीने में 7.5 फीसदी रही न कि 6.96। रिपोर्ट में बताया जा रहा है आम आदमी की गिरती हुई और आमदनी महंगाई की दर आम आदमी को अपनी मूलभूत जरूरतों को सीमित रखने के लिए मजबूर कर रही है।
इस रिपोर्ट में यह भी देखने को मिल रहा है कि जुलाई-अगस्त से कोरोना वायरस के नए ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं।
ग्रामीण इलाके भी कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं जबकि कोरोना वायरस काल में अर्थव्यवस्था का पूरा भार कोरोना वायरस से बचे हुए ग्रामीण भारत पर ही टिका था।
अब आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बेहद जरूरी होगा। जुलाई में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के मामले तेजी से बढ़े हैं।
जहां जुलाई के महीने में यह 51 फीसदी था अगस्त के महीने में 54 फीसदी से अधिक पहुंच गया है।हालांकि भारत में कोरोनावायरस से होने वाली मृत्यु दर में लगातार सुधार हो रहा है।
अब यह 1.96 फीसदी के नीचे आ गई है। लेकिन अगर बात करें एशिया की तो एशिया में के दूसरे देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु दर सबसे ज्यादा है।