बायो टेररिज्म को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत के पुणे और लखनऊ में BSL-4 लैब बनाई जाएगी

बायो टेररिज्म को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत के पुणे और लखनऊ में BSL-4 लैब बनाई जाएगी

पुणे के बाद अब लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी एंड इनफेक्शन डिजीज के लिए बायोसेफ्टी लैब (BSL-4) की दूसरी लैब खुलने जा रही है।

जिससे देश अज्ञात वायरस, बैक्टीरिया और संकमण से होने वाली जानलेवा बीमारियों से मुकाबला करने के लिए सक्षम हो जाएगा। साथ ही चीन जैसे दुश्मन देशों द्वारा फैलाये जाने वाले जैविक आतंकवाद ( Bioterrorism )  के लिए भी मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हो जाएगा।

विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह की लैब की संख्या भारत में बढने से अज्ञात और जानलेवा बीमारियों का त्वरित समाधान खोजने में आसानी हो जाएगी।

साथ ही यह सामरिक दृष्टि से भी काफी फायदेमंद रहेगा और भारत दुनिया भर में अपनी धाक भी बढ़ा लेगा। इससे भारत बायो सेफ्टी के मामले में अमेरिका, चीन, रूस, कनाडा जैसे देशों के साथ खड़ा हो जाएगा।

 क्या है BSL-4 लैब :-

यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर डिजीज के कारकों को खोजने और उनका समाधान करने के लिए एक प्रयोगशाला होती है। यहां पर लाइलाज और जानलेवा वायरस को रखा जाता है जिन पर हर वक्त शोध होता रहता है।

यह ओर अज्ञात वायरस बैक्टीरिया होते हैं जिनको लेकर की जाने वाली जरा सी लापरवाही खतरनाक हो सकती है। यह लैब कर्मियों के लिए ही नही बल्कि आसपास की आबादी के लिए भी घातक हो सकती है।

कोरोना वायरस महामारी के संबंध में कहा जा रहा है कि यह चीन के वुहान लैब से निकला था। अगर वास्तव में यह चीन के वुहान लैब से फैला तो यह वाकई में काफी चिंताजनक बात है।

जैव आतंकवाद रोकने में है मददगार :-

BSL-4 लैब की स्थापना करने से खतरनाक प्रदूषण पर शोध करने के लिए भारत में उसका समाधान मिल जाएगा। मतलब किसी भी तरह के जैविक आतंकवाद से बचने के लिए भारत खुद ही इसका समाधान होने में सक्षम हो जाएगा।

ज्यादातर इस तरह के वायरस दुश्मन देशों के वायरस, बैक्टीरिया अज्ञात व जानलेवा हमले जैसे होते हैं। कई सारे दुश्मन देश इनका इस्तेमाल जैविक हथियार के रूप में भी करते हैं, जिससे यह जिस देश के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं वह इसका हल न खोज पाए और न ही दुनिया का कोई देश उनका आसानी से समाधान खोज पाता है।

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भारत में दो BSL-4 लैब होने से इस तरह के अज्ञान आतंकवाद से सुरक्षा मिल जाएगी। साथ ही दुश्मन देशों द्वारा होने वाले जैविक हथियारों की काट भी खोजने में मदद मिलेगी। इस तरह से भारत सामरिक दृष्टि से एक मजबूत देश बन कर उभरेगा।

जैविक हथियार है दुनिया के लिए खतरा :-

विशेषज्ञों की बात माने तो जैविक हथियार दुनिया के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इससे जैव आतंकवाद को बढ़ावा भी मिल रहा है। सेना के एक कार्यक्रम के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी जैविक आतंकवाद के खिलाफ फौजियों को सतर्क किया था।

अमेरिका, रूस, कनाडा, चीन जैसे देशों के पास BSL-4 लैब है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के एक पूर्व अधिकारी बताते हैं कि कई समृद्ध देशों ने अपने यहां जैविक हथियार विकसित कर लिया है।

हालांकि परमाणु हथियार की तरह जैविक हथियार बनाने और उनके इस्तेमाल करने पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लागू है। इसके बावजूद दुनिया के दुश्मन देश चोरी छुपे इस तरह के काम करते हैं।

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