बिना स्टेरॉयड वाले मरीजों में भी दिख रहा म्यूकरमाइकोसिस

ब्लैक फंगस: बिना स्टेरॉयड वाले मरीजों में भी दिख रहा म्यूकरमाइकोसिस

देशभर में ब्लैक फंगस यानी कि म्यूकरमाइकोसिस एक बड़े खतरे के रूप में सामने आ रहा है। देश के कई राज्यों ने अपने यहां इसे महामारी घोषित कर दिया है। देशभर में लगभग 5500 से अधिक ब्लैक फंगस के मामले अब तक सामने आ चुके हैं।

जिसमें 126 लोगों की मौत हो चुकी है। म्यूकरमाइकोसिस के अचानक से भारत में उभरने के पीछे कोरोना वायरस के इलाज में इस्तेमाल हुई स्टेरॉयड दवा को जिम्मेदार माना जा रहा था।

बता दें कि स्टेरॉयड एक ऐसी दवा है जो ब्लड में ब्लड शुगर की मात्रा को बढ़ाने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने के लिए जिम्मेदार होती है। डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए इसका इस्तेमाल घातक माना जाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अचानक देश में बढ़े ब्लैक फंगस के पीछे डायबिटीज के रोगियों को दी जाने वाली स्टेरॉयड दवा का इस्तेमाल एक बड़ी वजह हो सकती है।

हालांकि कुछ ऐसे भी मामले हैं जहां मरीजो में स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं किया गया फिर भी उनमें ब्लैक फंगस का संक्रमण देखने को मिला है।

डॉक्टर नही है एकमत –

हालांकि सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात को लेकर सहमत नहीं है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान मेट्रोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टर उमा कुमार का कहना है कि जो मरीज लंबे समय से स्टेरॉयड का इस्तेमाल करते आ रहे हैं उनमें इस तरह का संक्रमण पहले कभी नहीं देखा गया।

ऐसे में स्टेरॉयड की वजह से ब्लैक फंगस के संक्रमण के उभार को नहीं जोड़ा जा सकता है। म्यूकरमाइकोसिस हमेशा से रहने वाली बीमारी है। स्टेरॉयड का इस्तेमाल भी काफी लंबे समय से हो रहा है।

लेकिन अभी तक इस तरह की कोई भी स्थिति सामने नहीं आई थी। ऐसे में केवल स्टेरॉयड को ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार मानना उचित नहीं है इसके लिए अन्य कारणों की जांच की जानी चाहिए क्योंकि अन्य कारणों के सम्मिलित प्रभाव की वजह से भी यह संक्रमण फैल रहा होगा।

जिन मरीज़ो को नही दिया स्टेरॉयड उनको भी परेशानी –

सीनियर ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर के.आर. मेघनाथ का कहना है कि ब्लैक फंगस के पीछे केवल स्टेरॉयड को जिम्मेदार मानना उचित नहीं है। क्योंकि ऐसे भी ब्लैक फंगस के मरीज देखे गए हैं जो कोरोना वायरस के दौरान स्टेरॉयड का कभी भी इस्तेमाल नहीं किये।

लेकिन फिर भी उनको यह संक्रमण हो गया। ऐसे करीब 30 मामले डॉक्टर के पास आए हैं जो कोरोना वायरस रहे हैं। लेकिन उन्होंने कोरोना वायरस में कभी भी स्टेरॉइड का इस्तेमाल नहीं किया गया था और रिकवर होने के बाद उन्हें ब्लैक फंगस की समस्या हई। ऐसे में इसके कारणों पर और अधिक शोध की जरूरत है।

क्या है स्टेरॉयड ?-

स्टेरॉयड एक प्राकृतिक पदार्थ है जो शरीर में स्वयं बनता है। यह हमारी मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाता है। लेकिन अब इसे रासायनिक रूप से भी प्राप्त किया जा सकता है।

ज्यादातर इसका इस्तेमाल एथलीट, बॉडी बिल्डिंग करने वाले और खिलाड़ी करते हैं। जिससे वे अपनी मांसपेशियों को एक बढ़िया सुडौल आकार दे सकें। लेकिन स्टेरॉयड के बिना चिकित्सकीय इस्तेमाल को डॉक्टर सही नहीं मानते हैं।

क्योंकि इसके इस्तेमाल से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाने की वजह से खांसी, बुखार जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

स्टेरॉयड के नकारात्मक असर को देखते हुए ही अंतरराष्ट्रीय खेलों में इसके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अगर कोई खिलाड़ी इसका इस्तेमाल करता है तो वह डोप टेस्ट में फेल हो जाता है। तो उसे खेल प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया जाता है।

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