आखिरकार यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन अलग हो गया
आखिरकार ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से आधिकारिक रूप से अलग हो ही गया । ब्रिटेन आधी रात को औपचारिक तौर पर यूरोपीय यूनियन से पूरी तरह से अलग हो गया है और ब्रिटेन के अलग होने के साथ ही यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों के साथ उसकी 47 साल पुरानी आर्थिक राजनीतिक और कानूनी एकजुटता भी खत्म हो गई ।
इस विषय के जानकार का मानना है कि ब्रिटेन की यूरोपीय यूनियन की यूरोपीय यूनियन से अलग होने के इस कदम से ब्रिटेन की किस्मत और समृद्ध नया आकार लेगी तथा विभिन्न देशों के साथ ब्रिटेन के संबंधों को नई दिशा मिलेगी ।
यूरोपीय यूनियन से अलग होने के साथ ही ब्रेक्जिट पर शुक्रवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि “यह एक नए युग की शुरुआत है” । बता दें कि ब्रिटेन 1973 में यूरोपीय यूनियन से जुड़ा था ।
यह यूरोपीय देशों का एक समूह है और ब्रिग्जिट से ब्रिटेन अलग होने के लिए साल 2016 से एक जनमत संग्रह कराया था । जनमत संग्रह पर जनता की मुहर लगने के बावजूद ब्रिटेन ने यूरोपीय यूनियन से अलग होने में करीब आधे तीन साल का समय लगा दिया ।
ब्रिटेन की संसद से प्रस्ताव पारित न होने की स्थिति में पिछले साल कंजरवेटिव नेता थेरेसा मे को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था । थेरेसा मे के बाद बोरिस जॉनसन को ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनाया गया । ब्रेक्जिट के मुद्दे पर ब्रिटेन की संसद में गतिरोध बरकरार रहने पर जानसन ने 12 दिसंबर को मध्यावधि चुनाव भी कराया था जिसमें बोरिस जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी भारी बहुमत के साथ अपनी सत्ता बचाने में सफल रही । उस दौरान चुनाव जीतने के बाद बोरिस जॉनसन ने कहा था कि हमें नया जनादेश मिल गया है और ब्रिटेन पूरी तरीके से 31 जनवरी को यूरोपीय यूनियन से अलग हो जाएगा ।
यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन को अलग होने में इस पूरी प्रक्रिया को करने में करीब एक साल का वक्त लगेगा । इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने के लिए अंतिम समय सीमा 31 दिसंबर तक निर्धारित की गई है । इस अवधि तक ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन का प्रतिनिधित्व करने और मतदान करने का अधिकार नहीं होगा ।
यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने के साथ ही यूरोपीय यूनियन को आर्थिक तौर से नुकसान का सामना करना पड़ेगा क्योंकि उससे इसकी अर्थव्यवस्था में 15 फ़ीसदी की कमी आ जाएगी । यही वजह है कि लंदन को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक राजधानी माना जाता है ।
यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद ब्रिटेन में खुशी और गम दोनों तरह का माहौल दिखाई पड़ रहा है । यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन को अलग होने के समर्थन करने वाले लोग स्वतंत्रता दिवस के तौर पर इसे देख रहे हैं तो वहीं इसके विरोधी इसे मूर्खतापूर्ण मान रहे हैं और दलील दे रहे हैं कि इससे पश्चिम कमजोर पड़ जाएगा । यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा ।
हालांकि ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर बहुत थोड़ा सा ही देखने को मिलेगा ।