कोरोना वायरस के बाद चैपर वायरस (Chapare virus) से वैज्ञानिक परेशान
कोरोना वायरस महामारी का कहर जारी है। हालांकि अब इसकी वैक्सीन जल्दी उपलब्ध हो जाएगी। लेकिन अब चैपर वायरस की आहट ने वैज्ञानिकों को परेशान कर दिया है।
अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने हाल में ही एक दुर्लभ वायरस की खोज बोलीविया में की है। इस वायरस की खास बात यह है कि यह भी कोरोना वायरस की तरह मानव से मानव में हस्तांतरित होता है और यह भी कोरोना वायरस के परिवार से ही संबंधित है। यह कुछ कुछ इबोला जैसे रक्तस्राव बुखार भी पैदा कर सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2019 में बोलीविया की राजधानी ला पास में दो व्यक्ति इस संक्रमण से संक्रमित है, फिर इनके संपर्क में आने से तीन स्वास्थ्य कर्मी भी इसकी चपेट में आ गए थे।
साल 2003 में पहली बार इस वायरस को चिन्हित किया था। यह एक हेमोरेजिक फीवर वाला एक रक्तस्रावी बुखार है।
बोलीविया में पहली बार इस वायरस से संक्रमित मरीज पाए गए हैं। अब कई सालों बाद साल 2019 में इस संक्रमण की पुष्टि हो गई थी।
साल 2004 में बोलिविया आज से करीब 370 मील पूर्व के क्षेत्र में यह वायरस चैपर क्षेत्र मे फैला हुआ था। यही वजह है कि इस वायरस का नाम चैपर पर रखा गया।
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यह एक जानलेवा बुखार है। यह बुखार की ऐसी स्थिति होती है जिसमें रक्त को थक्का बनने में परेशानी होती है। नसों में बहने वाला रक्त बहुत पतला हो जाता है और रक्त कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं जिसकी वजह से इंटरनल ब्लीडिंग होने लगती है। कई बार इसकी वजह से एक सीवयर डिसऑर्डर की समस्या हो जाती है।
इस बीमारी को कई दूसरी बीमारियों में वर्गीकृत किया गया है। इसमें डेंगू, लासा, इबोला जैसी बीमारी शामिल है। यह बीमारियां ट्रॉपिकल एरिया में होना आम बात है।
मौसम के बदलाव के कारण भारत में इसके प्रजनन और प्रसार के लिए उपयुक्त वातावरण मिल जाता है। इसलिए भारत में इसके फैलने की संभावना काफी ज्यादा रहती है। यह संक्रमित जानवरों से मानव में फैल सकता है और फिर मानव से मानव में भी फैल सकता है।
लाइलाज है यह फीवर :-
यह एक जानलेवा बुखार है। यह वायरस हेमोरेजिक फीवर है जिसको कोई उपचार उपलब्ध नही है। इसका निवारण सुरुआत में करना ही एक बेहतर तरीका है। ज्यादातर मामलों में तेज बुखार, थकान, कमजोरी, चक्कर आना जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
वहीं गंभीर मामलों में ब्लडिंग की समस्या देखी गई है। कई बार गंभीर स्थिति में उसमे आंख, नाक और कान से भी ब्लडी हो जाती है।
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कोरोना वायरस की तरह ही इसमे बुखार भी काफी जानलेवा होता है। इसलिए इसका लक्षण दिखते ही जितनी जल्दी हो सके उसका इलाज कराना चाहिए।
फिलहाल राहत की बात यह है कि यह वायरस अभी भारत में नही फैला है। लेकिन फिर भी लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है जिससे कि किसी भी हानिकारक स्थिति से बचा जा सके।
आज के दौर में हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग और बेहद जागरूक रहने की जरूरत है, क्योकि जरा सी भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है।