क्या संकट में फंसी कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता पार्टी को उबार पाएगा
कांग्रेस पार्टी इन दिनों संकट में है । दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है । 17वीं लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को काफी कम सीटें मिली । कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो आजादी से पहले ही बनी थी, लेकिन हमेशा इस पर गांधी परिवार का ही वर्चस्व रहा है । अब जब कांग्रेस पार्टी संकट में है तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या संकट में फंसी कांग्रेस पार्टी को गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति से संकट से निकाल सकता है ?
दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी स्वर्गीय शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कांग्रेस को इस संकट से बाहर निकालने के लिए गैर गांधी को पार्टी की कमान सौंपने की बात कही है । लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ऐसी कोई संभावना है, क्योंकि अगर कांग्रेस का इतिहास देखें तो इस बात की संभावना नजर नहीं आती है क्योंकि हमेशा घुमा फिरा कर कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के पास ही रही है ।
वरिष्ठ पत्रकार और जनसत्ता मुंबई के पूर्व संपादक प्रदीप सिंह का मानना है कि यह मुद्दा उठाने वाले संदीप दीक्षित ही पहले नेता नहीं है, पहले भी कई सारे नेता भी इस तरह की बातें करते रहे हैं कोई खुलेआम बोल रहा है तो कोई चुप है । बता दें कि शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और मनीष तिवारी जैसे युवा नेता भी कांग्रेस को उबारने के लिए कांग्रेस की लीडरशिप में बदलाव करने का सुझाव दे चुके हैं ।
कोई भी नेता सीधे तौर पर यह नहीं बोल रहा है क्योंकि फिर उसे पार्टी से बाहर होने का खतरा है । राहुल गांधी जब अध्यक्ष पद से हट गए थे तो लोग इस बात से तैयार थे कि गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए । लेकिन सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी में ही अपने बच्चों का भविष्य देख रही हैं ।
हर चुनाव के बाद ऐसी चर्चा होती है कि किसी बाहरी को कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान दी जाए लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आता है । अगर कांग्रेस में गांधी परिवार के बाहर के किसी नेता को अध्यक्ष बना दिया जाए तो बदलाव दिख सकता है । पार्टी को यह समझना होगा कि ताकत इस बात से तय होती है कि कौन नेता वोट दिला सकता है या नहीं और गांधी परिवार अब वोट नहीं दिला पा रहा है । इस वजह से कांग्रेस पार्टी की हालत खराब हो चुकी है ।
इसके पहले जब पार्टी संकट में थी तो उस समय इंदिरा गांधी एक ताकतवर नेता थी लेकिन तब से अब स्थितियां काफी बदल चुकी हैं । लोग अब गांधी परिवार के फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं । कांग्रेस के अंदर पैदा हो रहे इन सवालों पर जब वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन से बात हुई तो उनकी राय कुछ अलग ही निकली । उनका कहना है कि फिलहाल तो यह मुश्किल लग रहा है कि गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता पार्टी की कमान संभाल सकता है और पार्टी को उबार सकता है ।
सवाल यह भी है कि सिंधिया जैसे को कौन नेता मानेगा । पार्टी में अभी कोई ऐसा नेता नहीं दिख रहा है जो पूरे देश का नेतृत्व करने की क्षमता रखता हो । ऐसे में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की जो कुछ भी बची खुची स्वीकार्यता है वह कांग्रेस के लिए पर्याप्त है क्योंकि उनकी सबसे बड़ी ताकत यही है कि वह गांधी परिवार से संबंधित है और जब तक लोगों में यह भरोसा रहेगा तब तक लीडरशिप उनकी ही रहेगी ।
जब उनसे सवाल किया गया कि क्या प्रियंका को आगे नहीं लाना चाहिए ? तब इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं राजनीति में चाहिए जैसा कुछ भी नहीं होता है । उनका कहना है कि जिस दिन भाजपा कमजोर हो गई उस दिन कांग्रेस को मौका मिलेगा और तब तक पार्टी और उसके नेतृत्व को उन दिनों का इंतजार करना होगा ।