कोरोना वायरस के चलते चीन की जनता में सरकार के प्रति आक्रोश
जो लोग सरकार के द्वारा बनाई गई किसी भी नीति का न तो विरोध करते थे न उसके खिलाफ कभी आवाज उठाते थे, अब वही लोग सरकार का विरोध कर रहे हैं । जी हां… चीन के जनता में अपनी सरकार के प्रति आक्रोश है और वह अपना विरोध कम्युनिस्ट सरकार के प्रति जता रही है । दरअसल कोरोना वायरस चीन से होते हुए ही पूरी दुनिया में तेजी से फैला है । कोरोना वायरस का पहला मामला चीन के वुहान शहर में मिला था ।
चीन की जनता अपनी सरकार का विरोध इसलिए कर रही है क्योंकि सरकार ने कहा है कि कोरोना वायरस से लड़ाई जनता की लड़ाई है । कोरोना वायरस के चलते चीन में लोग अपने घरों में कैद हो रहे हैं जिससे इसका संक्रमण न फैले । चीन ने इस ओर काबू पा लिया है यह कहने की वजह से लोगों में जमकर गुस्सा है । जो लोग सरकार की तरफ से घर में कैद है वो लोग सरकार के इस रवैये से दुखी हैं।
मालूम हो कि पिछले हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के वुहान शहर गए थे । वुहान शहर ही वह जगह है जहां से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई । कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे ज्यादा पीड़ित वुहान शहर के लोग ही है ।कोरोना वायरस से लड़ाई को जनता की लड़ाई राष्ट्रपति ने वुहान के दौड़े के बाद बताया और उन्होंने ने कहा हमने इससे निजात भी पा लिया है ।
लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रहा है । कोरोना से मौत होने वालों की संख्या लगता बढ़ता जा रहा है । इसलिए सरकार के दावे से लोगों में गुस्सा बढ़ गया । सरकार द्वारा यह कहने पर कि इस पर काबू पा लिया गया है तो लोगों में आक्रोश उत्पन्न हो गया और लोग सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर बोलने लगे ।
मालूम हो कि कोई वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया है । वुहान के ही एई फैंन नाम के डॉक्टर ने सबसे पहले कोरोना वायरस के खिलाफ लोगों को आगाह किया था , सरकार ने उसकी आवाज़ को तब दबा दिया था लेकिन अब चीन के लोगों ने उनका इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल करने लगे हैं।कोरोना वायरस न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि जानवरों तथा अर्थव्यवस्था के लिए भी काफी घातक साबित हो रहा है ।
चीन की सरकार की लापरवाही से ही नतीजा है कि संक्रमा बढ़ता जा रहा है और अब लोग सरकार का जमकर विरोध करने के लिए सामने आने लगे हैं । मालूम हो कि चीन की सरकार सोशल मीडिया पर निगरानी रखती है । उसके लिए उसका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक सॉफ्टवेयर है ।
डॉ फ़ेन के इंटरव्यू को लोगों ने कई भाषाओं में अनुवादित करके भिन भिन प्रकार से सोशल मीडिया पर पोस्ट करना सुरु किया ताकि इस सॉफ्टवेयर को धोखा दिया जा सके। चीन के इस डॉक्टर ने कहा था कि जब उन्होंने चीन के पत्रिका पीपल के साथ बातचीत की और कोरोना वायरस को लेकर सबसे पहले आगाह किया तथा इससे बचने के लिए कुछ शुरुआती कदम इसके लिए उठाने के लिए कहा तो कोरोना वायरस को रोकने के उपाय के बजाय उनमें डर पैदा किया गया कि अगर उन्होंने अफवाह फैलाई तो उन्हें दंडित किया जा सकता है ।
ऐसे में कोरोना वायरस के शुरुआती मामले की जानकारियों को दबा दिया गया । लेकिन कोई बात अगर किसी हालात को जब बड़े पैमाने पर बिगड़ती है जो लोग चुप नहीं बैठते हैं बल्कि वह इसे पूरी दुनिया को बताते हैं । नतीजा यह रहा कि चीन के प्रशासन ने सेंसरशिप को और भी ज्यादा कठोर बनाने की कोशिश की ।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार की लापरवाही वजह से लोगों में नाराजगी है । उनका मानना है कि इस पार्टी का अपने बचाव के लिए आक्रामक नीति को अपनाना हमेशा से ही उनके प्रवृत्ति रही है ।
अब जाकर चीन के अधिकारीयों ने इस बात को कबूला है २०१९ में ही कोरोना वायरस का २६६ मामला प्रकाश में आचुका था । यह खबर हांगकांग से प्रकाशित होने वाली अखबार चाइना मॉर्निंग पोस्ट में प्रकाशित हुआ है। १७ नवंबर को पहला मामला कोरोना वायरस का आया था लेकिन सरकारी अधिकारी इस को पहचानने में नाकाम रहे और इस कारन ये दुनिया भर में फैल गया और बिश्व अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ा।