कोरोना वायरस से संक्रमित होने से लोग मर क्यो रहे है ???
कोरोना वायरस महामारी बनकर पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है और कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है । अब तक 8000 से ज्यादा मौतें कोरोना वायरस की वजह से हो चुकी हैं । भारत में भी अब तक 151 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं तथा 3 लोगों की मौत हो चुकी है ।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि कोरोनावायरस शरीर के अंदर जाकर ऐसी क्या गड़बड़ी उत्पन्न कर देता है जिसकी वजह से इंसान इतनी जल्दी मर जा रहा है । अभी इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए लासेन्ट मैगजीन में एक शोध छपा है जिसमें यह बताया गया है कि दुनिया में हर साल मरने वाले लोगो मे एक चौथाई लोग सेप्सिस की वजह से मर जाते है ।
सेप्सिस को अगर साधारण भाषा में कहें तो किसी संक्रमण की वजह से शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र इतना ज्यादा एक्टिव हो जाता है कि उसकी वजह से शरीर के अंग सही ढंग से काम नहीं कर पाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं जिसकी वजह से मौत हो जाती है, तो इस स्थिति को सेप्सिस कहा जाता है ।
इस खतरनाक प्रक्रिया की वजह से शरीर के ऊतक तक नष्ट होने लगते हैं । शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं जिसकी वजह से लोगों की मौत होती हैं । डोएचेविले वेबसाइट की रिपोर्ट में लासेन्ट मैगजीन में छपे इस शोध का हवाले देते हुए ये बाते कही गई है ।
यानी दुनिया भर में होने वाली मौतो में एक चौथाई मौते तो सिर्फ सेप्सिस की वजह से हुई है । 2015 कि में बताया गया है कि अकेले जर्मनी में 15 फीसदी मौत की वजह सेप्सिस रहा है । ऐसे में जर्मनी के सेप्सिस फाउंडेशन ने सलाह दी है कि लोगो को इन्फ्लूएंजा और न्यूमोकॉक्स के खिलाफ टीका लगना चाहिए ।
इसमें सबसे ज्यादा खतरा उन नवजातों को रहता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है साथ ही डाइबिटीज, एड्स, कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से पीड़ितों को भी अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा खतरा रहता है ।
लक्षण – किसी भी वायरस के लक्षण के अलावा इसका अन्य लक्षण ब्लड प्रेशर में अचानक से गिरावट आना तथा दिल की धड़कन का तेज हो जाना है, साथ में बुखार आना, तेज सांसें चलना और बीमार सा महसूस करना भी इसके लक्षण है । सेप्टिक शॉक की स्थिति में ब्लड प्रेशर अचानक से खतरनाक स्तर तक गिर जाता है और ऐसे में तुरंत इमरजेंसी सेवा लेना चाहिए लेकिन ऐसा कर नहीं पाते हैं तो इसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है ।
इलाज – अस्पताल में सेप्सिस से जुड़े बहुत सारे मामले आते रहते हैं लेकिन इनका पता काफी देर से चलता है । इसका जल्द से जल्द पता लगा कर इसे ठीक किया जा सकता है । इसमें खून की जांच के अलावा एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है, साथ ही ब्लड सरकुलेशन और वेंटिलेशन पर ध्यान दिया जाता है ।
स्थिति गंभीर होने पर बहुत बार इसके मरीजों को आर्टिफिशियल कोमा में भी रखा जाता है । यह एक गहन चिकित्सा होने के अलावा बहुत महंगी भी है । अगर केवल अमेरिका की बात करें तो वह हर साल में इस बीमारी पर 24 अरब डॉलर खर्च करता है ।
जब स्थिति गंभीर हो जाती है तब मरीजों को आईसीयू में रखा जाता है लेकिन कोरोनावायरस के मरीजों में सांस की गंभीर समस्या भी देखने को मिल रही है और यह इतनी तेजी से फैल रहा है कि सभी को आईसीयू की सुविधा उपलब्ध भी नहीं कराई जा सकती है । ऐसे में कोरोनावायरस को रोकना ही लोगों की जान बचाने का एक सुरक्षित तरीका है ।
सेप्सिस एक गंभीर समस्या है और दुनिया भर में वैज्ञानिकों को साथ ही डॉक्टरों को कोशिश यह करनी चाहिए कि सेप्सिस से बचाव किया जाए व जागरूक किया जाए जिससे लोग इसके चपेट में आये ही न ।