इन दिनों कोरोना वायरस के चलते देश मे बिगड़ रहा साम्प्रदायिक सौहार्द

इन दिनों कोरोना वायरस के चलते देश मे बिगड़ रहा साम्प्रदायिक सौहार्द

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हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से देशवासियों को एकता और भाईचारे के संबंध में संदेश दिया है । मोदी ने अपने एक लेख के जरिए लोगों को धर्म और जाति से ऊपर उठकर कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए कहा है । मोदी ने कहा है कि कोरोना वायरस कोई धर्म, जाति, रंग, भाषा और सीमा को देखकर नहीं होता है।

इसलिए हमारा आचरण एकता वाला तथा भाईचारे वाला होना चाहिए।  उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए खतरा है। ऐसे में हमारे पास सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता होनी चाहिए।

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मोदी ने चिंता जाहिर की है कि देश के विभिन्न हिस्सों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की खबर सुनने में आ रही है। कोरोना वायरस के इस बुरे दौर में सांप्रदायिक सौहार्द का बिगड़ना एक बड़ी चुनौती है । ऐसे में किससे लड़ा जाए बिगड़ते सामाजिक सौहार्द से या फिर कोरोनावायरस महामारी से?

सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने से सरकार और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि इससे कैसे निपटा जाए । इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों से आवाहन कर रहे हैं कि वह करोना वायरस में एकजुट हो और समाज में फैली इस बिगड़ती सामाजिक सौहार्द की भावना को दूर करने की कोशिश करें ।

आज अब सबसे बड़ा सवाल यह आता है कि कुछ लोगों की गलतियों के लिए पूरे वर्ग और समुदाय को दोषी ठहराना कहां तक उचित है ? यह हमारी बौद्धिकता के खिलाफ है की हम एक ही डंडे से पूरे समाज को हांकने की कोशिश करें ।

हमें इस बात को बहुत अच्छे से समझना होगा कि कोई भी धर्म इस तरह के कामों की इजाजत नहीं देता है और अगर कोई भी इंसान ऐसा काम कर रहा है तो वह इसके लिए वह व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार है । इसके लिए उसका धर्म या उसके अनुयाई जिम्मेदार नहीं हैं ।

इसलिए बेवजह किसी धर्म को और उसके अनुयायियों को इसमें घसीटना बेवकूफी भरा काम है ।हमारे राजनेता में अगर कोई एक भ्रष्ट निकलता है तब हम सारे राजनेताओं को भ्रष्ट नहीं कहते हैं ।

खेल प्रतिस्पर्धा के दौरान अगर कोई खिलाड़ी किसी डोपिंग टेस्ट में पास नहीं हो पाता है तब हम पूरी टीम को इसके लिए आरोपी नहीं बना सकते हैं । ऐसे ही किसी भी एक क गलत काम के लिए हम किसी एक वर्ग और समुदाय को पूरी तरीके से दोषी नहीं कह सकते हैं ।

हमें दकियानूसी सोच से ऊपर उठना होगा और असामाजिक कार्य करने वाले लोगों को दूर रखना होगा क्योंकि कुछ लोगों की गलतियों की सजा गरीब काम करने वाले पर निकालना कहां तक सही है !

जरूरत है कि समाज को तोड़ने वाले लोगों को समाज से बाहर का रास्ता दिखाया जाए तभी इनके ताने-बाने को कमजोर किया जा सकता है । इस बात को अच्छी तरीके से समझ लेना चाहिए कि समाज की सुरक्षा के जरिए देश को सुरक्षित रखा जा सकता है और देश की उन्नति की जा सकती है ।

हमे किसी भी धर्म की सोच से ऊपर उठना होगा भारत बहुधार्मिक देश है और इसकी विविधता ही इसकी पहचान है । हिंदू मुस्लिम के सोच से ऊपर उठकर हमें एक भारतीय के तौर पर सोचना होगा और अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा ।

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