कोरोना वायरस की दूसरी लहर में 95 फ़ीसदी मरीज ठीक होकर भी हैं परेशान, 30 फीसदी मरीज का हाजमा है खराब
कोरोना वायरस का कहर कुछ इस कदर है कि इससे निजात मिल ही नहीं पा रहा है। पहली लहर के बाद पोस्ट कोविड-19 में इतनी समस्याएं नहीं आई थी जितनी के दूसरे लहर में देखने को मिल रही है।
दूसरे लहर में संक्रमित 95 फीसदी मरीजों में कोरोना वायरस की रिपोर्ट नेगेटिव आने और रिकवर होने के बाद भी लोगों को कमजोरी और सांस की समस्याएं देखी जा रही है।
पहली लहर में जहां कम लक्षण वाले मरीज 10-15 दिन में पूरी तरह से स्वस्थ हो गए थे वहीं दूसरी लहर में स्वस्थ होने में व संक्रमित मरीजों के ठीक होने में 25 से 30 दिन का लंबा समय लग जा रहे हैं।
कई मरीज तो ऐसे हैं जो 2 महीने के बाद भी पूरी तरीके से स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे हैं। उन लोगों को सिर दर्द, सांस लेने की समस्या, पाचन से जुड़े समस्या, मानसिक तनाव, खराब हाजमा जैसी कई समस्याएं देखने को मिल रही है और अस्पताल पहुंच रहे हैं।
एम्स रायपुर और अंबेडकर अस्पताल में पहुंचने वाले कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके 30 फ़ीसदी मरीज को खाना पचने की समस्या हो रही है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने पोस्ट कोविड-19 सेंटर बनाने की योजना पर काम करने को कहा है।
चिकित्सीय सुविधा की समीक्षा –
प्रतिदिन बढ़ते मरीजों की संख्या को ध्यान में रखकर मौजूदा चिकित्सा सुविधाओं के समीक्षा हर राज्य में की जा रही है। मरीजों में मनोवैज्ञानिक परेशानी काफी ज्यादा देखने को मिल रही है।
इसके लिए अलग से डेस्क स्थापित करने पर विचार हो रहा है। कोरोना से रिकवर लोगों में ब्लड क्लोटिंग, अधिक दवाओं के प्रयोग से ब्लड शुगर जैसी कई समस्याएं देखने को मिल रही है।
स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पोस्ट को मरीजों के लिए डॉक्टर के मार्गदर्शन के लिए एक बुकलेट भी तैयार करने पर विचार हो रहा है, जिससे मरीज स्वयं सास और मांसपेशियों में तनाव जैसी समस्याओं से उबरने के लिए व्यायाम करें और घर पर रहकर ही अपना इलाज कर सकें।
करीब 95 फीसदी मरीजों में से 50 फीसदी पर ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया। जिनको कोरोना वायरस के दोषी लहर में कोरोना के अधिक शक्तिशाली प्रभाव दिखे। ऐसे मरीजों में 50 फीसदी से अधिक लोग संक्रमित हुए थे। बीमारी ने उनके शरीर के हिस्सों के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियों को भी बुरी तरीके से प्रभावित किया है।
झारखंड की राजधानी जयपुर के अस्पताल में प्रतिदिन और दो हजार ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं जो कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पोस्ट कोविड-19 में मरीज़ो में कई स्वास्थ्य समस्या देखने को मिल रही हैं।
पोस्ट कोविड मरीजों के काउंसलिंग और इलाज के लिए अस्पतालों में पोस्ट कोविड सेंटर बनाने की योजना चल रही है। जिससे मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर हैरान कर देने वाली थी
भारत में कोरोना वायरस के दूसरी लहर के संबंध में संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट को आर्डिनेटर रेनाटा डेजलिएन ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस के दूसरी लहर की रफ्तार काफी हैरान कर देने वाली थी।
इससे इस बात की आशंका है कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर भी आ सकती है। ऐसे में भारत सरकार को अपनी पूरी तैयारी रखनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र भारत के इस संकट की घड़ी में भारत के साथ खड़ा है और हर संभव मदद कर रहा है।
उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान मामलों में तेजी से बढ़ जाने की वजह से 6 से 7 महीने का समय दूसरी लहर को लगा था। इसलिए तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी था। पर लेकिन जिस रफ्तार से दूसरी लहर के दौरान संक्रमण बढ़े यह वाकई में हैरान कर देने वाला था।
हम बता दें कि भारत समेत पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस से परेशान है। पहली लहर के बाद इस बात की संभावना जताई गई थी कि हालात जल्द ही बेहतर हो जाएंगे। लेकिन पहली और दूसरी लहर की बात की जाए तो दोनों लहर में संक्रमण के रफ्तार की दर में काफी ज्यादा अंतर था।
उन्होंने आगे अभी कहा की पहली लहर आने के बाद इस बात की भी पूरी आशंका थी कि दूसरी लहर भी आएगी। सभी तैयारियों को लेकर पूरी तरह से चौकस थे। लेकिन जिस रफ्तार से यह बढ़ी यह सोच से परे था और हैरान कर देने वाला था।
उन्होंने कहा कि हम भारत के मामलों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। लेकिन कोरोना वायरस से हो रही मौतें चिंता को बढ़ा दी है। उनका कहना है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव अलग-अलग देखने को मिला।
दूसरी लहर के दौरान ज्यादातर लोग इसकी चपेट में आ गए। उनका मानना है कि भारत में दूसरी लहर चरम बिंदु पर आकर निकल गई है। दूसरी लहर से देश ने तीसरी लहर का मजबूती से सामना करने के लिए सीख भी दी है।
उन्होंने कहा है कि पहले से पता था कि दूसरी लहर आएगी। लेकिन यह भी पहली लहर की तरह ही रहेंगी ऐसा सोचा था। लेकिन सब कुछ उल्टा हो गया और बेहद हैरान करने वाला रहा।
रेनाटा डेजलिएन इंटरव्यू के दौरान बताया कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर लापरवाही की वजह से बेहद खतरनाक साबित हो गई। भारत में कोरोना वायरस की तीसरी लहराने की भी आशंका बनी हुई है।
उनका कहना है कि इस बात का पता नहीं है कि यह कैसी होगी और यह एक बेहद मुश्किल काम है क्योंकि इस वायरस के बारे में हमें कम जानकारी है।
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा कि हम वायरस के बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं इसलिए इससे अभी ठीक से परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखते हुए वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय में वैक्सीन उत्पादन में कमी की वजह से वैक्सीनेशन प्रोसेस में भी रुकावट आ रही है।
लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही यह रुकावट खत्म हो जाएगी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित कर पाना मुमकिन हो जाएगा। रेनाटा डेजलिएन नर इंटरव्यू में भारत में केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की है।
उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र अपने विभिन्न एजेंसियों के जरिए भारत समेत दुनिया के लगभग हर देशों को हर संभव मदद उपलब्ध करवा रहा है।
महामारी को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भारत में 2600 स्वास्थ्य कर्मियों को तैनात किया है। 10000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आयात किए हैं और 72 सीजन संयंत्र स्थापित करने के लिए भी काम चल रहा है।
जल्द ही जरूरी सामग्री की आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहार ऐसे समय में आई जब देश आर्थिक रूप से पिछड़ने के बाद दोबारा से पटरी पर आने की कोशिश में था। अब फिर से स्थित को दोबारा से सुधारने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में थोड़ा वक्त लग सकता है।