कोरोना का दोबारा से संक्रमण होना क्या है

कोरोना का दोबारा से संक्रमण होना क्या है? क्या वैक्सीन आने के बाद भी इसका खतरा बना रहेगा?

साल 2020 की शुरुआत कोरोना वायरस महामारी से हुई थी। आज पूरी दुनिया इस महामारी से जूझ रही है और पूरी दुनिया के सामने नई नई चुनौतियां इस महामारी की वजह से सामने आ रही है। अब एक और चुनौती फिर से लोगों के सामने है।

दरासल इसका संक्रमण दोबारा से लोगों को हो रहा है। दुनिया के 210 देश से भी ज्यादा देश इस समय इस संक्रमण से जूझ रहे हैं। कोरोना वायरस के लिए अभी तक कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नही हो पाई है और कोरोना वायरस के मामले दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे हैं।

हालांकि दवा और उपचार के तरीके में भी बदल हो रहे हैं और लोग तेजी से ठीक हो रहे हैं। लेकिन सबसे चिंता की बात यह है कि एक बार कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद लोग फिर से इस वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। दोबारा से संक्रमण होना लोगों की चिंता को बढ़ा रहा है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का कहना है कि भारत में दोबारा से संक्रमण होने के अब तक सिर्फ 3 मामले ही सामने आए हैं। पहली बार दोबारा से संक्रमण होने की पुष्टि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव ने की है और उन्होंने दोबारा संक्रमण होने के समय सीमा को 100 दिन तय किया है।

बता दें कि कोरोना वायरस के द्वारा संक्रमण के पहले मामले की आधिकारिक पुष्टि हाँगकाँग में अगस्त के आखिरी सप्ताह में की गई थी।

अगस्त के आखिरी सप्ताह में हांगकांग के 23 वर्षीय एक युवक दोबारा कोरोना वायरस से संक्रमित होकर दुनिया के वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था। पहली बार यह युवक कोरोना वायरस से मार्च महीने में संक्रमित हुआ था और दोबारा अगस्त में फिर से संक्रमित पाया गया।

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कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस द्वारा दुबारा संक्रमित होना एक दुर्लभ मामला है। जो लोग पूरी तरीके से नहीं होते हैं उन्हें दोबारा होने की संभावना रहती है। इसे बीमारी का वापस लौटना भी कहा जा सकता है।

बता दें कि अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से 90 दिन, 100 दिन या 120 दिन के बाद दोबारा से संक्रमित हो सकता है या नही।

भारतीय लोगो मे कोरोना वायरस से लड़ने के लिए है ज्यादा क्षमता !
भारतीय लोगो मे कोरोना वायरस से लड़ने के लिए है ज्यादा क्षमता !

हालांकि आईसीएमआर ने इसके लिए 100 दिन की समय सीमा निर्धारित की है। कई मरीजों को 100 दिन के बाद दोबारा से कोरोनावायरस का संक्रमण होने की संभावना रहती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ डाटा उपलब्ध करवाए हैं जिसमें दुनिया भर में कोरोना वायरस से दुबारा संक्रमित 2 दर्जन से अधिक मामलों के बारे में चर्चा की गई है।

 कितने दिन रहती है एंटीबॉडी

कोरोना के मामले में साढे चार महीने तक व्यक्ति के शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी रही है। उसके बाद खत्म जाती है। आईसीएमआर का कहना है कि कई शोध से यह बात सामने आई है कि कोई व्यक्ति एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है तब आम तौर पर चार महीने तक उसके शरीर में एंटीबॉडी रहती है और कई लोगो मे तो यह एंटीबॉडी 50 दिन के अंदर भी खत्म हो सकती है।

मुंबई के जेजे अस्पताल में एक केस स्टडी किया गया जिसमें 35000 कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों में 3-4 महीने बाद 90 फीसदी लोगों में मात्र 38.9 फीसदी एंटीबॉडी पाई गई।

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इसके संबंध में अमेरिका के एरिजोना विश्वविद्यालय में एक शोध किया गया है जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के अंदर 5 महीने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने लगभग 6000 लोगों के नमूना पर अध्ययन किया है।

 क्या वैक्सीन के बाद भी रहेगा कोरोना वायरस का खतरा

सब लोगों के मन में यह सवाल है कि यदि कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित हो भी जाती है। तब लोगों के शरीर में कितने दिनों तक एंटीबॉडी रहेगी या फिर टीकाकरण से पैदा हुई हार्ड इम्युनिटी कितने समय तक रहेगी।

न्यू यॉर्क टाइम के अनुरोध पर रिपोर्ट की समीक्षा करने वाली येल यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर का कहना है कि टीकाकरण के बाद हो सकता है कि हार्ड इम्युनिटी विकसित हो जाये। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से विकसित हुई इम्यूनिटी ही बीमारी को रोकती है।

ऐसे में दोबारा संक्रमण के मामले को यह किस तरह से रोकेगी फिलहाल अभी उसके बारे में कुछ पाना मुश्किल है। विशेषज्ञों का कहना है कि अलग-अलग बीमारियों में एंटीबॉडी बनने का समय अलग अलग होता है।

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