शोध का दावा कोरोना वायरस से प्रभावित फेफड़े 12 हफ्ते के अंदर खुद ही हो जाते हैं रिकवर
कोरोना वायरस महामारी के दौर में स्वस्थ रहना चुनौती बन गया है। कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर इसका सीधा असर फेफड़े पर देखने को मिलता है।
कई बार लोग कोरोना वायरस से रिकवर हो जाते हैं उसके बाद भी वह पूरी तरीके से खुद को ठीक नहीं महसूस करते हैं।
कोरोना वायरस से रिकवर मरीजों में सांस से जुड़ी समस्या और फेफड़े से जुड़ी परेशानियाँ देखने को मिलती हैं अभी तक माना जाता था कि कोरोना वायरस से संक्रमित हुए मरीजों में फेफड़े से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं और उन्हें ताउम्र इस परेशानी से जूझना होगा।
लेकिन एक शोध में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस से प्रभावित हुए फेफड़े 12 हफ्ते के अंदर खुद ठीक हो जाते हैं।
यह रिपोर्ट ब्रिटिश टेलीग्राफ द्वारा प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को जिन्हें फेफड़े से जुड़ी समस्या हो रही है उनके लिए एक नई उम्मीद की किरण जागी है।
अब कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को लंबे समय तक इस परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस शोध के अनुसार कोरोना वायरस से मरने वाले ज्यादातर लोगों में फेफड़े के क्षतिग्रस्त होने की समस्या पाई गई थी।
यह भी पढ़ें : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना कोरोना वायरस से उबरने के बाद भी काफी समय तक पूरी तरह ठीक नही महसूस कर रहे मरीज
निष्कर्षों से डॉक्टरो को यह बात समझने में सहायता मिली है कि “लॉन्ग कोविड-19” के पीछे क्या कारण है जिसकी वजह से संक्रमित व्यक्ति मे महीनों तक संक्रमण के लक्षण नजर आ सकते हैं।
इसका नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि कोरोना वायरस की कुछ अनूठी विशेषताएं देखने को मिल रही है जिससे इसके होने के बारे में पता लगाया जा सकता है और यह भी समझा जा सकता है कि इस तरह से नुकसान क्यों पहुंचाता है।
ट्रायल के दौरान वैज्ञानिकों ने देखा कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों मे फेफडो में होने वाली क्षति को रिकवर होने में 12 हफ्ते का समय लगता है। 12 हफ्ते बाद उनके अंदर संक्रमण नही रहते हैं और फेफड़ा पूरी तरीके से ठीक हो जाता है।
इसके पहले स्टडी में मरीजों के ठीक होने की बात कही गई थी। लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर को कहना था कि मरीज संक्रमण से रिकवर होने के बाद भी खुद को स्वस्थ नहीं महसूस करते हैं और उसमें साइड इफेक्ट देखे जाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में उन लोगों को शामिल किया जिन्हें कोरोना वायरस की गंभीर लक्षण नजर आए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।
यह भी पढ़ें : शोध के अनुसार सर्दी खांसी से पीड़ित लोग कोरोना वायरस के घातक स्वरूप के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली प्रणाली विकसित कर लेते हैं
शोध के परिणाम से पता चलता है कि अस्पताल से घर जाने पर 6 सप्ताह बाद 88% रोगी के सिटी स्कैन में फेफड़े को नुकसान पहुंचने के लक्षण दिखाई दिए थे, जबकि 45% लोगों ने समस्याएं 8 हफ्ते बाद तक देखने को मिली थी।
इस शोध को यूरोपीय साइंस सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस द्वारा प्रकाशित कराया जाएगा। इस शोध को करने में ऑस्ट्रिया के 86 मरीजों की जांच की गई है।
ये मरीज 29 अप्रैल से 9 जून के बीच अस्पताल में भर्ती किए गए थे और छुट्टी मिलने के 6 से 12 हफ्ते के बाद भी इन मरीजों की जांच की जाती रही। रिकवर होने के छठ वे हफ्ते तक 88 फीसदी मरीजों में नुकसान के सबूत देखे गए हैं। लेकिन 12 हफ्ते तक यह आंकड़ा आधा हो गया।
स्टडी में उन लोगों को शामिल किया गया था जिनकी औसत उम्र 65 साल थी और कुल मरीजों में से आधे मरीज ऐसे थे जो पहले स्मोकर रह चुके थे और 20 फ़ीसदी मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना वायरस संक्रमण के चलते आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था।
फेफड़े के बारे में कहा जाता है कि यह समय के साथ खुद ब खुद अपने आप को रिपेयर करने का काम करता है।