क्या फोटो क्लिक करने के दौरान कैमरे की फ्लैश से छोटे बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंचता है?

क्या फोटो क्लिक करने के दौरान कैमरे की फ्लैश से छोटे बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंचता है?

टेक्नोलॉजी और आधुनिकता की दौड़ में लोगों की जिंदगी काफी आसान हो गई है। आज हर समस्या का समाधान चुटकी बजाते ही हो जाता है।

अब लोग अपनी छोटी छोटी ख्वाहिशों को आसानी से पूरा कर लेते हैं। पहले जहां हर किसी को अपनी यादों को सहेजना एक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण काम होता था।

वही आज लोग हर छोटे-छोटे लम्हों को मोबाइल फोन के कैमरे में कैद करके रखने लगे हैं। मां बाप बनना भी एक यादगार पल होता है।

यह हर पेरेंट्स के लिए खुशियों से भरा पल होता है और हर कोई इसे संजो कर रखना चाहता है। बढ़ते टेक्नालॉजी के दौर में लोग अपने इस ख्वाहिश को आसानी से पूरा कर ले रहे है।

अब हर पेरेंट्स बच्चा पैदा होते ही उसकी पहली क्लिक करके सोशल मीडिया पर पोस्ट करके अपनी खुशी लोगों से जाहिर करते हैं।

वह छोटी-छोटी बातों को संजो कर रखना चाहते हैं। लेकिन नवजात शिशु के लिए कैमरे की फ्लैश लाइट कितनी सही है कितनी नही? इस तरह के सवाल भी मन में आते हैं तो आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से –

क्यों कहते हैं विशेषज्ञ :-

श्यामा आई केयर हॉस्पिटल के आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर दीपक का कहना है कि फ्लैशलाइट से नवजात शिशु की आंखों पर असर पड़ता है या नही, या आंखें खराब हो जाते हैं, इसके अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाए हैं।

लेकिन नवजात शिशु की आंखों पर डायरेक्ट फ्लैशलाइट न पड़े यह ध्यान रखना चाहिए। सुरक्षित तरीके से नवजात शिशु की फोटोस को क्लिक कर सकते हैं। इससे आंखों पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नही पड़ता है।

क्या इससे नवजात शिशु पर इसका प्रभाव पड़ता है ?

नवजात शिशु को कैमरे की फ्लैश लाइट से परेशानी महसूस होती है या नही? इस सवाल को ले कर बहुत सारे लोग कई तरह के तर्क करते हैं।

लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कैमरे की तेज फ्लैशलाइट नवजात शिशु के आँखों पर प्रभाव डाल सकती है। कैमरे की तेज फ्लैशलाइट से उनकी आंखों के खराब होने की संभावना रहती है।

वहीं कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि फ्लैशलाइट से शिशु की आंखों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जितना अन्य लाइट से पड़ता है। लाइट से छोटे शिशु कुछ देर के लिए चकाचौंध हो जाते हैं। लेकिन इससे उनकी आँखे नही खराब होती है।

हालांकि कुछ परिस्थितियों में कैमरे की लाइट बच्चों की आंखों पर असर डालने की क्षमता रखते हैं। जैसे कि यदि अंधेरे कमरे में फोटोग्राफी की जाती है तब इससे नवजात शिशु की आंखों पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि अंधेरे में लाइटिंग इफेक्ट होता है।

जिसकी वजह से नवजात शिशु की आंखों की रेटिना में स्ट्रेस बढ़ जाने की संभावना रहती है। इसलिए कम लाइट और अंधेरे में फोटोग्राफी करने से बचना ज्यादा सुरक्षित तरीका है।

क्योंकि अंधेरे कमरे में नवजात शिशु की फोटोग्राफी करने से उनके आंखों पर लाइट का असर पड़ता है।

क्या फ्लैश लाइट बच्चों को आंधा बना सकती है?

अक्सर लोगो को आप ने यह कहते सुना होगा कि कैमरे के लाइट से नवजात शिशु की आंखें खराब हो सकती है। लेकिन ऐसा होता नही है।

शोध से पता चलता है कि कैमरा फ्लैश से शिशु की आंखों में किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए कैमरे के फ्लैश का इस्तेमाल किया जा सकता है।

तेज लाइट से आंखों की सुरक्षा के लिए आंखों के ऊपरी सतह की पुतली सिकुड़ने के लिए होती है लेकिन एक माह से कम उम्र के शिशुओं में इनका विकास ठीक ढंग से नहीं हुआ रहता है। ऐसे में उनकी आंखें से सुरक्षित नहीं हो पाते हैं।

लेकिन इसके बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि कैमरे की फ्लैश लाइट में उतनी ज्यादा लाइट नहीं होती है कि वह शिशु को अंधा बना सके।

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अगर आंखों पर डायरेक्ट फ्लैश पड़ता है तो चकाचौंध हो सकता है लेकिन यह नॉर्मल हो जाता है। स्टैंडर्डाइज कैमरे में लाइट का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में एक माह से कम उम्र के शिशुओं को इस तरह की लाइट से बचाना सुरक्षित तरीका है।

नवजात शिशु की आंखों को सुरक्षा के लिए इन बातों का ध्यान रखें

बड़े बच्चों की तुलना में नवजात शिशु की आंखें काफी ज्यादा सेंसिटिव रहती हैं। नए-नए माता-पिता को अपने बच्चों की आंखों की सुरक्षा के लिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। आइए जानते हैं किन बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है –

  • माता-पिता को अपने नवजात शिशु को नुकीली चीजों से दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि अगर यह किसी भी तरह से बच्चों की आंखों में चली जाए तो रेटिना डैमेज हो सकता है।
  • छोटे बच्चों को आंखें मलने की आदत होती है, ऐसे में ध्यान रखें कि बच्चे ज्यादा देर तक आंखें न मले, क्योंकि लगातार आंखें मलने से भी शिशु की आंखें डैमेज होने का खतरा रहता है।
  • सीधी आंखों पर लाइट न पड़े, बच्चों की आंखों पर सीधे लाइट न पढ़ने से तो ज्यादा ठीक है क्योंकि लाइट पड़ने से बच्चों की आंखों पर असर पड़ता है।
  • इन बातों को ध्यान रखते हुए अगर नॉर्मल तरीके से बिना फ्लैश के फोटो खींची जाती है तो इससे बच्चों की आंखें खराब होने का खतरा नहीं रहता।
  • इसलिए हमेशा कोशिश करें सुरक्षित तरीके से फोटो खींचे, ताकी खुशियों को पल को हमेशा के लिए संजोया जा सके और बच्चे भी सुरक्षित रहें।
  • हमेशा फोटो को अंधेरे में या फिर बहुत ज्यादा या बाहत कम लाइट में फ़ोटो खींचने से बचें।

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