जमीन धंसने से भारत समेत दुनिया के कई देशों के लोगों पर मंडरा रहा है खतरा
पृथ्वी पर मानव का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसका खामियाजा मानव को ही भुगतना पड़ेगा। अभी हाल मे ही एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि जिस तेजी से इंसान भूजल का दोहन कर रहा है उसकी वजह से धरती की सतह घंसने लगी है, जिसका परिणाम यह होगा कि दुनिया के करोड़ों लोग को क्षति होगी।
एक अनुमान के मुताबिक जमीन धंसने से दुनिया के 63.5 करोड़ लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वही दूसरी तरफ समुद्र जलस्तर भी बढ़ता जा रहा है, ऐसे में जो लोग तटवर्ती इलाकों में रहते हैं वहां पर बढ़ते समुद्र के जलस्तर से बाढ़ का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ रहा है।
अभी हाल में ही जनरल साइंस में शोध प्रकाशित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 2040 तक दुनिया की 29 फीसदी की जनसंख्या पर इसका असर देखने को मिलेगा, जिसमें भारत, चीन, ईरान, इंडोनेशिया के लोग शामिल होंगे। इसका असर वैश्विक जीडीपी पर भी देखने को मिलेगा।
यह भी पढ़ें : वैज्ञानिकों के अनुसार प्लास्टिक के कंटेनर में रखा गया गंगाजल भी हो जाता है जहरीला
एक अनुमान के मुताबिक तेजी से बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिये कृषि पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे इंसान की जरूरतों को पूरा करने के लिए भूजल का भी तेजी से दोहन हो रहा है और इसका असर धरती की सतह पर पढ़ रहा है।
शोध के अनुसार बढ़ते भूजल के दोहन से धरती की सतह को नुकसान हो रहा है। धरती के धंसने से दुनिया के करीब 63.5 करोड लोग के प्रभावित होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा असर एशिया में ही देखने को मिलेगा।
जमीन के घंसने की वजह :-
जनरल साइंस में छपे एक दूसरे शोध के अनुसार 34 देशों में 200 से ज्यादा जगहों पर भू जल का अनियंत्रित दोहन किया जा रहा है, जिसके वजह से जमीन धंसने के सबूत मिले हैं।
इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता गेरार्डो हेरेरा गार्सिया तो कहना है कि जिस क्षेत्र की आबादी बहुत अधिक है, वहां पर सूखे की समस्या देखने को मिल रही है, इसके अलावा उस क्षेत्र में सिंचाई के लिए बढ़ते प्रयोग से भूजल पर दबाव के चलते जरूरत से ज्यादा भूजल का दोहन किया जा रहा है, जिससे सतह घंसने लग रही है।
दुनिया की आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसका करण संसाधनों पर दबाव दिन-ब-दिन बढ़ता चल रहा है, और स्थितियां बिगड़ रही है।
वहीं भूजल दोहन के संबंध में नियमों की कमी देखी गई है और बढ़ती आबादी समस्या को और भी ज्यादा बढ़ाने का काम कर रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण समस्या और भी ज्यादा विकराल रूप से सामने आ रही है।
यह भी पढ़ें : कुदरत की लालटेन कहे जाने वाले जुगनू, जलवायु परिवर्तन के चलते बुझने के कगार पर
जनरल साइंस में एक अन्य शोध में छपा है, ईरान मे जिस तेजी से भूजल का दोहन हो रहा है उसके चलते तेहरान में कई जगह पर जमीन 25 सेंटीमीटर प्रति वर्ष के घंसने हुए पाई गई है।
पिछले 10 वर्ष में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता भी जमीन करीब 2.5 मीटर तक डूब गई है और कई जगह पर 25 सेंटीमीटर की दर से जमीन धंसने की घटना देखी गई है।
वैज्ञानिक इस समस्या को समझने के लिए स्थानीय और जनसांख्यिकी विश्लेषण के आधार पर मॉडल विकसित कर रहे हैं, जिसकी सहायता से इंसानी कार्यकलापों की वजह से आने वाली बाढ़ और भूजल की कमी जैसी समस्या वाले क्षेत्रों की पहचान की जा सके। खास करके उन जगहों की जहां पर जमीन घंसने की संभावना अधिक है और संवेदनशील इलाके हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जमीन घंसने की समस्या से निपटने के लिए प्रभावी नीतियां बनाने की जरूरत है, लेकिन दुनिया भर के ज्यादातर देशों में इसके संबंध में कोई भी नीति नही बनाई गई है। जमीन धंसने वाले क्षेत्रों को चिन्हित करके उनकी निगरानी के जरिए होने वाले खतरे को सीमित किया जा सकता है।