22 अप्रैल : पृथ्वी दिवस क्यो और कब से मनाया जाता है
पृथ्वी ही एक मात्र ग्रह है जहाँ पर मानव और जीव जंतु पाए जाते हैं। इंसानों के रहने का एक मात्र ठिकाना पृथ्वी है । हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है । पृथ्वी दिवस मनाने का मकसद पृथ्वी के पर्यावरण को संरक्षण करने के लिए समर्थन देना और लोगों को जागरूक करना है । 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने की शुरूआत अमेरिका के सीनेटर नेलसन ने शुरू की थी । इसकी शुरुआत पर्यावरण की शिक्षा पर ध्यान देने के तौर पर हुई थी और सबसे पहले पृथ्वी दिवस 1970 में मनाया गया था ।
आज दुनिया के 195 देशो में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाते हैं । हर साल पृथ्वी दिवस मनाने के लिए एक विशेष थीम रखी जाती है । इस बार साल 2020 के लिए पृथ्वी दिवस की थीम “जलवायु कार्यवाही” रखी गई है । जलवायु परिवर्तन को मानवता के भविष्य के लिए और जीव जंतु के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि किसी भी ग्रह की जलवायु ही उस ग्रह पर जीवन के पनपने और रहने के योग्य उसे बनाती है ।
पृथ्वी दिवस मनाने की सुरुआत की बात काफी दिलचस्प है । दरअसल साल 1969 में कैलिफोर्निया के सांता नाम की समुद्र में भारी मात्रा में तेल रिसाव हुआ था और उसकी वजह से काफी तबाही हुई थी जिसकी वजह से अमेरिकी सीनेटर गिलार्ड नेल्सन काफी आहत हो गए थे और उन्होंने फैसला किया कि वे लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ काम करेंगे ।
बता दे की उस समुद्र में 22 जनवरी को समुद्र में 3 मिलियन गैलन तेल का रिसाव हो जाने की वजह से 10,000 से ज्यादा समुद्री बर्ड, डॉल्फिन और सी लायन मार गए थे, जिसकी वजह से अमेरिका के सीनेटर काफी दुखी हो गए थे । इसी वजह से 20 अप्रैल को 1970 में पहली बार पृथ्वी दिवस के आयोजन पर दो करोड़ अमेरिकी लोगों ने भाग लिया था । लोगों की भागीदारी ज्यादा से ज्यादा करने के लिए उन्होंने इसके लिए 19 से 25 अप्रैल तक के सप्ताह को चुना था ।
चलिये जानते हैं ‘अर्थ डे’शब्द कैसे आया :–
हम लोगों के बीच प्रचलित ‘पृथ्वी दिवस’ या फिर ‘अर्थ डे’ शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले जूलियन कॉइन नाम के शख्स ने 1969 में किया था । दरअसल पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को आंदोलन में शामिल करने के लिए उन्होंने अपने जन्मदिन की तारीख 22 अप्रैल को चुनो थी क्योंकि उनको लगा ‘बर्थडे’ और ‘अर्थ डे’ एक जैसी ध्वनि निकालते हैं ।
आज उनके प्रयासों की बदौलत ही पर्यावरण प्रेमी नदियों में फैक्ट्री का गंदा पानी डालने वाली ज्यादातर कंपनियों पर रोक लगाने और जहरीला कूड़ा इधर-उधर फेंकने पर रोक लगाने के लिए तथा जंगलों को काटने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए लगातार प्रदर्शन करते रहते हैं । उनके प्रयासों की बदौलत ही आज काफी लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हुए हैं ।
लेकिन इस जागरूकता में ज्यादा से ज्यादा लोगो को शामिल करने और जागरूकता को ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है और लोगों को इस बात से अवगत कराना है कि वह प्राकृतिक संसाधनों का बेजा इस्तेमाल ना करें और उनका संरक्षण करे ।