जानिए अब तक आई महामारियों से दुनिया मे हुए बदलाव के बारे में

जानिए अब तक आई महामारियों से दुनिया मे हुए बदलाव के बारे में

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कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप पूरी दुनिया में जन जीवन को प्रभावित कर रखा है जिसका अंदाजा इंसान पहले नहीं लगा पाया था । मालूम हो कि कोरोना वायरस से पहले भी इतिहास में कई सारी महामारी आ चुकी हैं जिनकी वजह से दुनिया में काफी बड़े बदलाव हुए थे । यहां तक कि कई साम्राज्य का विस्तार हुआ था तो कई साम्यवाद बहुत छोटे में ही सिमट गए थे ।

ब्लैक डेथ : – 14 वीं शताब्दी के पांचवें छठे दशक में प्लेग नाम की महामारी पूरे यूरोप में फैल गई थी जिससे यूरोप की एक तिहाई आबादी अपनी जान गवा दी थी । इसे ही ब्लैक डेथ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि प्लेग से इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी कि खेतों में काम करने के लिए उपलब्ध लोगों की संख्या बेहद कम हो गई थी ।

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जिसका सबसे ज्यादा नुकसान जमीदारों को भुगतना पड़ा था और इसी के साथ ही दुनिया में पश्चिमी यूरोप में यह बदलाव देखने को मिला कि वहां से सामंतवादी व्यवस्था कमजोर पड़ने लगी । हालांकि इससे एक बदलाव और देखने को मिला जिसे अच्छा कहा जा सकता है । प्लेग महामारी के बाद मजदूरी प्रथा का उदय होगा जिसकी वजह से पश्चिमी यूरोप ज्यादा आधुनिक, व्यापारिक और नगद आधारित अर्थव्यवस्था की तरह बढ़ गया ।

इसी के साथ समुद्री यात्राओं की शुरुआत हो गई और पश्चिमी यूरोपीय देशों में साम्राज्यवाद की नींव पड़ी । अन्य क्षेत्रों की तुलना में यूरोपीय देशो में अर्थव्यवस्था को और ज्यादा विस्तृत करने का मौका मिला और इसी के साथ उपनिवेश को भी बढ़ावा मिला था । इसी के साथ है यूरोप में नई नई तकनीक विकसित होने शुरू हो गये और कई उपनिवेश भी बनाए जो उनकी कमाई का जरिया बने और इसी के जरिए पश्चिमी यूरोपीय देश दुनिया पर अपना दबदबा भी बनाने लगे ।

प्लेग की महामारी 1641 तक चीन में काफी तबाही मचाई और बड़ी संख्या में लोग मारे गए । उस दौरान सूखा भी पड़ा और टिड़ियों का प्रभाव के चलते फसलें तबाह हुई । नतीजा यह हुआ कि लोगों के पास खाने के लिए भी अन्न नहीं था और इसी वजह से उत्तर से चीन पर आक्रमणकारियों ने चीन में मौजूद मिंग राजवंश को पूरी तरह से समूल नष्ट कर दिया बाद में मंचूरिया के किंग वंश के राजा ने संगठित रणनीति के तहत चीन पर आक्रमण करके मिंग राजवंश को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया ।

चेचक :- 15 वी शताब्दी के अंत में यूरोपीय देशों में खास करके अमेरिकी महाद्वीप में चेचक काफी तेजी से फैला जो कि यूरोपीय देशों के उपनिवेश की वजह से उपनिवेशवादी क्षेत्र हुआ था जिसमें चेचक, खसरा, हैजा, मलेरिया, प्लेग, काली खासी, टाइफाइड जैसी बीमारियां भी उन क्षेत्रों में फैल गई और करोड़ों लोगों की जान इसमें गई थी ।

जनसंख्या कम होने की वजह से खेती भी कम होने लगी बड़े बड़े इलाके चरागाहों और जंगलों में तब्दील होने लगे जिसकी वजह से पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर काफी नीचे हो गया और वैश्विक तापमान में कमी देखने को मिली, जिसे इतिहास में लघु हिमयुग के तौर पर भी जाना जाने लगा ।

 येलो फीवर :- 1801 में कैरेबियाई देशों जिसमें हैती में यूरोपीय देशों के उपनिवेश की ताकत बढ़ने लगी और उसकी वजह से वहां के गुलामों ने बगावत कर दिया और अंत में फ्रांस के साथ तुसैन्त लोवरतुर के बीच समझौता हो गया । फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्टे ने जब हैती पर कब्जा जमाने के लिए अपने सैनिकों को भेजा तो उसके सैनिक पीत ज्वर से संक्रमित हो गए क्योंकि सैनिक इस बुखार को झेलने की ताकत नहीं रखते थे क्योंकि वे खास करके भेजो अफ्रीकी मूल के थे ।

हैती पर फ्रांस के नाकाम कब्जे के अभियान के 2 साल बाद 21 लाख वर्ग किलोमीटर के इलाके पर कैरेबियाई द्वीप को अमेरिका को फ्रांस के नेता ने बेंच दिया । इसे लुईजियाना खरीद के तौर पर इतिहास में जाना जाता है और इसी के बाद अमेरिका का क्षेत्रफल बढ़कर दोगुना हो गया ।

अब यह कोरोना वायरस दुनिया में तबाही मचा रहा है इसकी वजह से लोगों की आदतों और अर्थव्यवस्था में भी कई बड़े बदलाव देखने की उम्मीद की जा रही है ।

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