मनपसंद खाना न मिलने पर इंसान हो जाता है मानसिक रूप से कमजोर
मनपसंद खाना न मिलने पर इंसान हो जाता है मानसिक रूप से कमजोर । आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मोटापा बहुत सारे लोगों की समस्या बन गया है । साथ ही कई सारी की कई सारी अन्य बीमारियां भी लोगों को तनाव और अनियमित, पोषणरहित खानपान की वजह से घेर लेती है । ऐसे में बहुत सारे लोग डाइट प्लान करते हैं और अपने डाइट के अनुसार ही खाना खाते हैं ।
लेकिन एक शोध में साबित हुआ है कि जो लोग अपनी डाइट को बहुत कड़ाई से पालन करते हैं और अपने मन के अनुसार खाना नहीं खा पाते हैं तो वो अकेलापन महसूस करते हैं । बहुत सारे लोग अपने मनपसंद का खाना ना मिलने पर खाना नहीं खाते हैं और कुछ लोग खा लेते हैं ।
लेकिन एक रिसर्च में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है जिसमें कहा गया है कि जब लोगों को उनकी मनपसंद का खाना नहीं मिलता है तो वे शारीरिक रूप से कमजोर होते ही हैं साथ ही मानसिक रूप से भी कमजोर होने लगते हैं । अगर मनपसंद खाना नहीं मिलता है तो केवल इसका असर उनकी सेहत पर ही दिखता नहीं बल्कि वे मानसिक रूप से कमजोर भी होने लगते हैं ।
अब दिमाग में यह बात आती है कि मनपसंद खाने का मेंटल हेल्थ से क्या संबंध है । लेकिन रिसर्च से यह साबित होता है कि मनपसंद खाने का सीधा संबंध मेंटल हेल्थ से होता है और इस रिसर्च के अनुसार जो लोग अपना मनपसंद खाना नहीं खा पाते हैं उनके जीवन में अकेलापन की समस्या बढ़ जाती है ।
रिसर्च में कहा गया है कि नपा तुला और कैलोरी के हिसाब से खाना खाने वाले लोग, बिना डाइट फॉलो करने वालो की अपेक्षा खुद को ज्यादा अकेला फील करते हैं । यह रिसर्च अमेरिकी कार्नेल यूनिवर्सिटी के द्वारा हुआ है । इस रिसर्च के अनुसार डाइट प्लान के अनुसार खाना खाने वाले लोग जब भी किसी फंक्शन में होते हैं तो शारीरिक रूप से तो वहां मौजूद होते हैं लेकिन खाने की टेबल पर वह दूसरों लोगों के साथ बॉन्डिंग नहीं कर पाते हैं ।
क्योंकि डाइट प्लान के हिसाब से खाना खाने वाले लोग हमेशा कैलोरीज को ध्यान में रखते हुए नपा तुला डाइट लेते हैं और इसी दौरान उनके दिलो-दिमाग में कई सारी उधेड़बुन चलती रहती है और यह उन्हें अन्य लोगों से अलग और अकेला कर देती है ।
इस रिसर्च में यह सामने आया है कि कोई खास चीज के खाने पर प्रतिबंध लगने से लोगों में अकेलापन की भावनाएं करीब 20 फ़ीसदी तक ज्यादा बढ़ जाती हैं । कार्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केटलिन वूली के अनुसार बच्चों में इसका कम असर देखने को मिलता है क्योंकि बच्चे बड़े लोगों की अपेक्षा डाइट को कम फॉलो करते हैं ।
लेकिन यंगस्टर में बड़े पैमाने पर इसका असर करता है क्योंकि वे अपनी डाइट को फॉलो करते हैं । खास करके वे यंगस्टर जो कम कमाई वाले होते हैं और अनमैरिड होते हैं उनमें यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है । इसलिए ऐसे युवाओं को इसके प्रति सचेत होने की जरूरत है ।