ग्लोबल वार्मिंग का भयावह रूप : यही हाल रहने पर धरती बन जाएगी आग का गोला
ग्लोबल वार्मिंग का असर पृथ्वी पर लगातार बढ़ता जा रहा है । दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चेतावनी दी है कि अगर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर नियंत्रित नहीं किया गया तो जल्दी पृथ्वी आग का गोला बन जाएगी ।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर हमारे ग्रह पृथ्वी पर भयानक रूप से दिखाई देने लगा है जो आगे चलकर इंसानियत के लिए खतरा हो सकता है । क्योंकि आने वाले समय में इंसानी आबादी खतरे में पड़ जाएगी ।
इसकी वजह यह है कि इंसानी गतिविधियों के चलते धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ रहा है । बढ़ता हुआ कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन धरती के तापमान को लगातार बढ़ा रहा है जंगल काटे जा रहे हैं और जैव विविधता कम होती जा रही है । यही वजह है कि मौसम चक्र भी बिगड़ गया है ।
ध्रुवों की बर्फ भी तेजी से पिघलने लग गई है और इस वजह से दुनिया भर में समुद्र जल स्तर में वृद्धि देखने को मिल रही है । वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि ऐसा ही जारी रहा तो धरती जल्दी आग का गोला बन सकती है ।
धरती पर जलवायु परिवर्तन में तेजी से बदलाव हो रहा है और भौगोलिक समय में भी परिवर्तन हो रहा है । वर्तमान समय में दुनिया का औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस है । लेकिन वैज्ञानिकों ने भौगोलिक प्रमाण के आधार पर बताया है कि पूर्व में धरती का औसत तापमान बहुत कम या फिर बहुत ज्यादा भी रह चुका है ।
वर्तमान समय में घटने वाली ग्लोबल वार्मिंग की घटनाओं में काफी वृद्धि हो गई है । इसलिए वैज्ञानिकों ने इस बात की पूरी आशंका है कि जल्दी इंसानी गतिविधियों से होने वाला परिवर्तन नही किया गया । यदि ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले दिनों दिन तापमान और बढ़ता जाएगा जो इंसानों के अस्तित्व के लिए खतरा बन जाएगा । यही वजह है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते हर साल पिछले साल की तुलना में गर्म होता जा रहा है ।
विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक क्रांति के बाद दुनिया औसत तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है । ग्लोबल वार्मिंग का असर धरती पर लगातार बात जा रहा है । हर साल पिछले साल की तुलना में गर्म होता जा रहा है ।
आइए जानते हैं क्या होता है ग्रीन हाउस प्रभाव –
जब धरती पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो इसका अधिकांश हिस्सा वायुमंडल की तरह परिवर्तित हो कर वापस लौट जाता है । जैसा कि जानते हैं वायुमंडल में ग्रीनहाउस का उत्सर्जन इतना ज्यादा हो रहा है कि यह ऊंचाई पर एक मोटी परत के रूप में मौजूद है ।
जिसकी वजह से सूर्य की किरणें परिवर्तित होकर धरती के वायुमंडल में पुनः वापस आ जाती हैं और सूर्य से धरती पर आने वाली ऊर्जा अवमुक्त नहीं हो पाती और इस वजह से पृथ्वी लगातार गर्म होते जा रही है । धरती पर औद्योगिक, कृषि कार्य, परिवहन, मानव गतिविधियों से ग्रीन हाउस गैस भारी मात्रा में उत्सर्जित होती हैं । इन गैसें के असर को ग्लोबल वार्मिंग गैसों का असर कहते हैं ।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पेड़ पौधों और फसलों पर भी पड़ रहा है । ग्लोबल वार्मिंग का असर जानवरों पर भी देखने को मिल रहा है । इस पृथ्वी पर कोई भी जीवधारी ऐसा नहीं है जो ग्लोबल वार्मिंग के असर से अछूता हो । ग्लोबल वार्मिंग की वजह से फसलों के दाने कमजोर और कम पोषण वाले हो रहे हैं । ग्लोबल वार्मिंग जैव विविधता के लिए खतरा पैदा कर रहा है ।